World Kidney Day 2022: किडनी की बीमारी से चाहते हैं खुद की सुरक्षा तो एक्सपर्ट्स से जानिए ये फायदेमंद टिप्स
World Kidney Day: विश्व किडनी दिवस पर राजधानी दिल्ली में ‘किडनी मंथन’ का आयोजन हुआ. कार्यक्रम में दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार सहित देश भर से जुड़े करीब ढाई हजार डॉक्टरों ने शिरकत की.
World Kidney Day: हर साल लाखों लोग किडनी संबंधी बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं. बीमारी का समय पर जांच और इलाज न होने से स्थिति क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) तक पहुंच जाती है. किडनी के काम बंद कर देने से पहले परंपरागत चिकित्सा आपको बचा सकती है. विश्व किडनी दिवस पर राजधानी में ‘किडनी मंथन’ का आयोजन हुआ. कार्यक्रम में डॉक्टरों ने दावा किया कि आयुष चिकित्सा के जरिए किडनी रोगियों को लाभ मिल सकता है. वेबिनार चर्चा में दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार सहित देश भर से जुड़े करीब ढाई हजार डॉक्टरों ने आयुर्वेद चिकित्सा पर जोर दिया.
किडनी की बीमारी से कैसे बचें?
आयुष मंत्रालय के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. डीसी कटोच ने कहा कि देश में करीब एक करोड़ लोग हर साल किडनी संबंधी रोग से प्रभावित होते हैं. समस्या के पीछे मॉडर्न लाइफस्टाइल का बड़ा योगदान है. खानपान के सिलसिले में लोगों को सचेत रहना बहुत जरूरी है. मेदांता अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. भीमा भट्ट ने कहा कि क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) में किडनी का काम करना रुक जाता है. इसके प्रमुख कारणों में आमतौर पर डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, स्मोकिंग, बढ़ती उम्र, पथरी, संक्रमण इत्यादि हैं.
आयुर्वेद पद्धति से इलाज का दावा
उन्होंने बताया कि शुरुआती चरण में संकेत नहीं मिल पाता है. उसके कारण मरीजों को बीमारी का पता भी नहीं चलता, लेकिन कुछ महीने या फिर साल बाद स्थिति गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है. आयुर्वेद चिकित्सा के जरिए समय पर इलाज शुरू करने से किडनी को बचाया जा सकता है. डॉक्टरों के अनुसार गोक्षुर, वरुण, गुडुची, पुनर्नवा, कासनी, तुलसी, अश्वगंधा और आंवला जैसी जड़ी बूटियों का सेवन किडनी की सुरक्षा के लिए फायदेमंद है.
इससे न सिर्फ बीमारियों का खतरा कम होता है बल्कि कोई गड़बड़ी होने पर ठीक करने में सहायक भी होती हैं. जड़ी बूटियों से एमिल फॉर्मास्युटिकल ने गहन अनुसंधान के बाद आयुर्वेद फार्मूले नीरी-केएफटी को बनाया. उसका मरीजों पर प्रत्यक्ष रूप से सकारात्मक प्रभाव देखा जा रहा है. महाराष्ट्र के औरंगाबाद से डॉ. आरिफ हसन ने कहा कि समय रहते मरीज की जांच और बीमारी का पता लगने के बाद नीरी केएफटी मददगार हो सकती है.
इससे डायलिसिस का खतरा भी कम किया जा सकता है. चर्चा के दौरान एमिल फॉर्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक डॉ. संचित शर्मा ने बताया कि फास्ट फूड खासतौर पर तले हुए क्रिस्पी की तरफ लोगों का ज्यादा झुकाव रहता है लेकिन उन्हें नहीं पता कि काले रंग की क्रिस्पी परत अमीनो एसिड युक्त सीधे तौर पर किडनी के लिए नुकसानदायक है.