World Plastic Surgery Day 2022: दिल्ली (Delhi) के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में 15 जुलाई को एसोसिएशन ऑफ प्लास्टिक सर्जन ऑफ इंडिया एक फिल्म फेस्टिवल का आयोजन करेगा, जिसमें प्लास्टिक सर्जरी के सामाजिक पहलुओं को दिखाया जाएगा. प्रदर्शित होने वाली फिल्मों में कोच्चि के अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में एक ट्रेन दुर्घटना में हाथ गंवाने के बाद डबल-हैंड ट्रांसप्लांट से गुजरने वाले भारत के पहले व्यक्ति की कहानी है.
साथ ही इसमें एक अंधे व्यक्ति की कहानी भी दिखाई जाएगी, जिसकी उंगलियों को फिर से जोड़ा गया था. गौरतलब है कि एक अंधे व्यक्ति के लिए अपने आस-पास की हर चीज़ को महसूस करने के लिए खास तौर से उंगलियों की जरूरत होती है. एम्स में प्लास्टिक और पुनर्निर्माण सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. मनीष सिंघल ने कहा कि ज्यादातर लोग प्लास्टिक सर्जरी को कॉस्मेटिक परिवर्तनों से जोड़ते हैं, जो अमीर और प्रसिद्ध हैं, लेकिन ऐसा नहीं है.
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उन्होंने कहा कि प्लास्टिक सर्जरी ग्रीक शब्द 'प्लास्टिकोस' से आया है, जिसका अर्थ है ढालना और यह हाथों को फिर से जोड़ने के लिए, जले हुए पीड़ितों के उपचार और माइक्रोवैस्कुलर सर्जरी जैसी चीजों पर ध्यान केंद्रित करता है. संगठन के मानद सचिव डॉ. विजय कुमार ने कहा कि देश में लगभग 2,500 प्लास्टिक सर्जन हैं. हर दिन लगभग 5,000 बड़ी और छोटी सर्जरी होती हैं. अब, इनमें से लगभग 50 प्रतिशत सर्जरी ट्रॉमा के मामलों से संबंधित हैं.
एम्स में सर्जरी का अनुपात समान है, जहां विभाग में 50 प्रतिशत सर्जरी ट्रॉमा से संबंधित हैं. मुख्य रूप से दोपहिया वाहन दुर्घटनाओं में जलने, अलग हाथ या उंगलियों, सिर को कंधे और बाहों से जोड़ने वाली नसों की चोट से जुड़ा हुआ है. डॉ. मनीष सिंघल ने कहा कि सिर्फ शिक्षण उद्देश्यों के लिए दिन में एक या दो मामले बोटोक्स उपचार और बाल प्रत्यारोपण के भी किए जाते हैं.
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