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World Puppetry Day 2022: आज से दिल्ली सहित इन 5 शहरों में आयोजित होगा पुतुल उत्सव, जानें- क्या रहा है कठपुतली का इतिहास
World Puppetry Day 2022: पुतुल उत्सव को देश के 5 बड़े शहरों में आयोजित किया जाएगा. इस बार यह उत्सव आजादी के अमृत महोत्सव के रंग में रंगा होगा और इसकी थीम भी आजादी के रंग और पुतल के संग रखी गई है.
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वाराणसी में पुतुल उत्सव 21 से 23 मार्च तक चलेगा
World Puppetry Day 2022: कठपुतली (Puppet) यानी लकड़ी या काठ का बना खिलौना, जो प्राचीन काल से ही लोगों के मनोरंजन का एक साधन रहा है. विद्वानों की मानें तो भारतीय नाट्यकला का जन्म भी कठपुतली के खेल से ही हुआ है. इस प्राचीन कला को लोगों के बीच और अधिक लोकप्रीय बनाने के लिए 21 मार्च यानी आज विश्व कठपुतली दिवस के अवसर पर संगीत नाटक अकादमी (Sangeet Natak Akademi) पुतुल उत्सव (Putul Utsav) का आयोजन करने जा रही है. इस उत्सव को देश के 5 बड़े शहरों में आयोजित किया जाएगा. खास बात यह है कि इस बार पुतुल उत्सव आजादी के अमृत महोत्सव के रंग में रंगा होगा और यही वजह है कि इसकी थीम भी आजादी के रंग और पुतल के संग रखी गई है.
कठपुतली नृत्य को लोकनाट्य की ही एक शैली माना गया है. यह अत्यंत प्राचीन नाटकीय खेल है, जिसमें लकड़ी, धागे, प्लास्टिक या प्लास्टर ऑफ पेरिस की गुड़ियों से जीवन के प्रसंगों की अभिव्यक्ति का मंचन किया जाता है. इस महान कला को संरक्षित करने के लिए देश के पांच बड़े शहरों दिल्ली, यूपी के वाराणसी, हैदराबाद (तेलंगाना), अंगुल (ओडिशा) और अगरतला (त्रिपुरा) में पुतल उत्सव का आयोजन किया जा रहा है. हैदराबाद और वाराणसी में यह उत्सव 21 से 23 मार्च यानी तीन दिनों तक चलेगा. वहीं अंगुल में यह उत्सव 21 और 22 मार्च को आयोजित किया जाएगा. इसके अलावा दिल्ली और अगरतला में एक दिवसीय यानी 21 मार्च को पुतुल उत्सव का आयोजन होगा. इस उत्सव में देश की जानी-मानी पुतुल संस्थाएं भी भाग लेंगी.
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कठपुतली कला का रोचक है इतिहास
कठपुतली के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में महाकवि पाणिनि के अष्टाध्याई ग्रंथ में पुतला नाटक का उल्लेख मिलता है. साथ ही सिंहासन बत्तीसी नामक कथा में भी 32 पुतलियों का उल्लेख है. पुतली कला की प्राचीनता के संबंध में तमिल ग्रंथ ‘शिल्पादिकारम्’ से भी जानकारी मिलती है. पुतली कला कई कलाओं जैसे लेखन, नाट्य कला, चित्रकला, वेशभूषा, मूर्तिकला, काष्ठकला, वस्त्र-निर्माण कला, रूप-सज्जा, संगीत, नृत्य आदि का मिश्रण है. अब कठपुतली का उपयोग मात्र मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि शिक्षा कार्यक्रमों, रिसर्च कार्यक्रमों, विज्ञापनों आदि अनेक क्षेत्रों में किया जा रहा है. साथ ही साथ यह बच्चों के व्यक्तित्व के बहुमखी विकास में सहायक होता है. आपको बता दें कि भारत में सभी प्रकार की पुतलियां पाई जाती हैं, जैसे धागा पुतली, छाया पुतली, छड़ पुतली, दस्ताना पुतली आदि.
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आजादी का संदेश देंगे पुतुल
संगीत नाटक अकादमी की सचिव टेमसुनारो जमीर ने बताया कि आजादी के 75 साल पूरे होने पर पूरा देश अमृत महोत्सव मना रहा है. इस बार पुतुल उत्सव भी आजादी के अमृत महोत्सव के रंग में रंगा है. देश में पुतुल कला को बढ़ावा देने के लिए उत्सव के दौरान कुछ शहरों में वर्कशॉप भी आयोजित की जा रही है. इसके अलावा कार्यक्रमों में पुतुल के माध्यम से आजादी के संघर्ष को दर्शाया जाएगा. इस उत्सव में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, आजाद, प्रकृति की महिमा, सत्याग्रह, रानी लक्ष्मी बाई और महालक्ष्मी कथा जैसे अनेक विषयों पर पुत्ली नृत्य दिखाया जाएगा. यह उत्सव भारत और विश्व के सांस्क़ृतिक के साथ-साथ प्राचीन कला को संरक्षित करने की ओर एक सफल कदम साबित होगा.
यहां होंगे कार्यक्रम
- जनमाध्यम संस्था, आया नगर, नई दिल्ली में 21 मार्च को दोपहर 2 बजे से आयोजित कार्यक्रम होंगे.
- हैदराबाद के सीसीआरटी एम्फी थिएटर में 21 से 23 मार्च को सुबह 10:00 बजे और शाम 7:00 बजे से कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
- वाराणसी के सुबह-ए- बनारस, अस्सी घाट पर 21 और 22 मार्च को शाम 7:00 बजे और दीनदयाल हस्तकला संकुल में 23 मार्च को सुबह 11:00 बजे से कार्यक्रम होंग.
- ओडिशा के अंगुल जिले में स्थित श्रीराम इंस्टीट्यूट ऑफ शैडो थिएटर में 21 मार्च को सुबह 11:30 बजे और शाम 6:15 बजे, 22 मार्च को सुबह 10:00 बजे और शाम 6:15 बजे से कार्यक्रम का आयोजन होगा.
- त्रिपुरा में अगरतला मुक्ताधारा ऑडिटोरियम में 21 मार्च को दोपहर 12:00 बजे से शुरू होगा पुतुल उत्सव.
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