Wrestlers Protest News: दिल्ली महिला आयोग (DCW) ने महिला पहलवानों के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में प्राथमिकी नहीं होने पर आईपीसी की धारा 166 ए क्लॉज सी के तहत पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की है. इससे पहले दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal) ने दिल्ली पुलिस (Delhi Police) को एफआईआर दर्ज नहीं करने को लेकर भी नोटिस जारी किया था.
स्वाति मालीवाल ने ट्वीट किया, "पांच दिन हो गए पर दिल्ली पुलिस ने रेसलर्स की शिकायत पर एफआईआर नहीं दर्ज की. ये गैरकानूनी है. कानून की धारा 166 ए (सी) आईपीसी कहती है अगर पुलिसवाला सेक्सुअल हैरेसमेंट की प्राथमिकी दर्ज न करे तो उसके खिलाफ एफआईआर हो सकती है. हमने दोषी पुलिस अफसरों पर एफआईआर करने की सिफारिश भेजी है."
दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा?
इस बीच दिल्ली पुलिस ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ सात महिला पहलवानों की ओर से लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों पर एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच की जरूरत है. चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा की पीठ को दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि अगर सुप्रीम कोर्ट को लगता है कि सीधे प्राथमिकी दर्ज की जानी है तो ऐसा किया जा सकता है.
'जब तक हमारे पास कुछ तथ्य न हों, कुछ नहीं करते'
तुषार मेहता ने कहा, ‘‘ हालांकि, पुलिस को लगता है कि एफआईआर दर्ज करने से पहले कुछ पहलुओं की प्रारंभिक जांच किए जाने की जरूरत है.’’ चीफ जस्टिस ने कहा, ‘‘सॉलिसिटर आप जानते हैं, हम दूसरे पक्ष को सुने बिना और जब तक हमारे पास कुछ तथ्य न हों, कुछ नहीं करते हैं. ’’ उन्होंने कहा कि आप जो भी बात है उसे शुक्रवार को अदालत के समक्ष रखें. मेहता ने कहा कि ऐसी धारणा कायम न होने दें कि अदालत के कहने के बावजूद प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई. पीठ ने मेहता की दलीलों का संज्ञान लिया और कहा कि दिल्ली पुलिस 28 अप्रैल को पहलवानों की याचिका पर सुनवाई के दौरान प्राथमिकी दर्ज करने को लेकर अपने विचार रख सकती है.
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