Delhi News: दिल्ली के जंतर-मंतर (Jantar-Mantar) पर जारी पहलवानों को धरना (Wrestlers Protesting) अब और तूल पकड़ता जा रहा है. ऐसा इसलिए कि रविवार को दिल्ली के पड़ोसी राज्यों के सैकड़ों किसान और खाप पंचायत के नेता टिकरी बॉर्डर (Tikri Border) तक पहुंच गए हैं. यानी जंतर मंतर पर चल रहे पहलवानों का प्रदर्शन पिछले 15 दिनों से चल रहा है और जो अब धरना-प्रदर्शन से आगे बढ़ कर एक आंदोलन का रूप ले चुका है.
पहलवानों के प्रदर्शन को सोशल मीडिया समेत देश भर से समर्थन मिल रहा है. पहलवानों के इस आंदोलन को विभिन्न विपक्षी राजनीतिक दलों के अलावा कई प्रमुख छात्र संगठनों, महिला संगठनों, किसान और मजदूर संगठनों का भी भरपूर समर्थन मिल रहा है. इसके कारण धीरे-धीरे अब इस आंदोलन का स्वरूप भी व्यापक होता जा रहा है. खासकर बुधवार की रात को दिल्ली पुलिस और पहलवानों के बीच हुई झड़प के बाद किसान संगठनों की तरफ से जिस तरह की कड़ी प्रतिक्रियाएं आई, उसके बाद पहलवानों का यह आंदोलन भी किसान आंदोलन की तरह बड़ा होता नजर आ रहा है.
पड़ोसी राज्यों के किसान पहुंच रहे दिल्ली
पंजाब के सबसे प्रमुख किसान संगठनों में से एक भारतीय किसान यूनियन उगराहां के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां के नेतृत्व में 7 मई को पंजाब से बड़ी तादाद में महिलाएं और किसान खिलाड़ियों का साथ देने जंतर मंतर पहुंचने वाले हैं। उगराहां ने ऐलान किया है कि पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड में भी जबर्दस्त आंदोलन किया जाएगा. पंजाब से कुछ अन्य किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के भी रविवार को जंतर-मंतर पहुंचने की संभावना है. हरियाणा से लगातार कई किसान समूह यहां पहुंच रहे हैं. वहीं यूपी के किसानों ने भी जंतर-मंतर कूच करने का ऐलान कर दिया है.
बॉर्डर पुलिस फोर्स सहित पैरा मिलिट्री फोर्स तैनात
वहीं, दिल्ली पुलिस भी किसानों के कूच आंदोलन को लेकर अलर्ट मोड़ पर है. पिछली बार, किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली बॉर्डर पर उग्र प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्स के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं. पुलिस को आशंका है कि आंदोलन की आड़ में असामाजिक तत्व बवाल कर सकते हैं. इस पर नजर रखने और शरारती तत्वों से सख्ती से निपटने के आदेश है. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जंतर मंतर पर इतनी बड़ी संख्या में प्रदर्शन की इजाजत नहीं है. उन्होंने उम्मीद जताई कि माहौल शांतिपूर्वक रहेगा.
धारा 144 लागू
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली को जोड़ने वाले सभी बॉर्डर पर दिल्ली पुलिसकर्मियों के अलावा सीआरपीएफ और आरएएफ के जवान भी तैनात किए गए हैं. पुलिस सभी बॉर्डर पर सख्ती से निगरानी रख रही है. प्रतिबंधित जगहों पर पुलिस की तरफ से धारा-144 के लागू होने के बोर्ड भी लगाए गए हैं.
एसकेएम का कूच आज
अब पहलवानों के धरने में किसान संगठनों और प्रमुख खाप पंचायतों की भी एंट्री हो गई है. उन्होंने रविवार को कूच का ऐलान कर दिल्ली पहुंचने की घोषणा की है. ऐसे में रविवार का दिन पहलवानों के आंदोलन को एक नई दिशा देने वाला साबित हो सकता है. हजारों लोग जंतर-मंतर पहुंच सकते हैं. हालांकि, पुलिस ने वहां पहले से ही धारा-144 लगा रखी है. वहां इतनी बड़ी संख्या में लोगों के जुटने की मनाही है.
किसानों के कूच से सटे इन रास्तों पर होगा असर
दिल्ली-चंडीगढ़ रूट: पुलिस को अंदेशा है कि पहलवानों को समर्थन देने इकठ्ठा हो रहे आंदोलनकारियों की वजह से दिल्ली-चंडीगढ़ राजमार्ग (जीटीके रोड) प्रभावित हो सकता है. जरूरत पड़ी तो रूट डायवर्ट किया जा सकता है.
गाजीपुर बॉर्डर : गाजीपुर बॉर्डर यूपी और दिल्ली को जोड़ता है. यहां गाजियाबाद के अलावा एनएच-9, दिल्ली मेरठ हाईवे को जोड़ता है. रोजाना लाखों लोग दिल्ली आना-जाना करते हैं. यह रूट भी प्रभावित हो सकता है.
सिंघु बॉर्डर: सिघु बॉर्डर दिल्ली हरियाणा को जोड़ता है. पिछली बार किसान आंदोलन की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित रहने वाले रूट्स में सिंधु बॉर्डर चर्चित रहा. आंदोलन की वजह से मुख्य मार्ग बंद होने के कारण गांव देहात की गलियां आवाजाही का प्रमुख जरिया थीं.
टिकरी बॉर्डर: टिकरी बॉर्डर भी दिल्ली और हरियाणा को जोड़ता है. इस रूट से जंतर मंतर पर पहुंचने वालों की बड़ी संख्या को अंदेशा है. विरोध में दिल्ली के सिंधु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर आम लोगों को आवाजाही से परेशानी हो सकती है.
रजोकरी बॉर्डर: दिल्ली-गुरुग्राम को जोड़ने वाले रजोकरी बॉर्डर पर भी इसका असर पड़ने की संभावना है. हरियाणा से खाप पंचायतों के प्रतिनिधि भी गुरुग्राम बॉर्डर के रास्ते दिल्ली पहुंच सकते हैं.
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