यमुना में कैसे बढ़ जाता है अमोनिया का स्तर? दिल्ली चुनाव में विवादों के बीच जानें
Yamuna Water Row: दिल्ली और हरियाणा की सरकारें कई सालों से यमुना के पानी में अत्यधिक अमोनिया की समस्या को हल करने के लिए कोई उचित समाधान निकालने में विफल रही हैं.
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Ammonia Content in Yamuna Water: आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा की बीजेपी सरकार पर दिल्ली के पानी सप्लाई में जहर मिलाने का आरोप लगाया था. इसके बाद हरियाणा सरकार ने बुधवार (29 जनवरी) को दिल्ली के पूर्व सीएम केजरीवाल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है.
वहीं, बीते मंगलवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और पंजाब के सीएम भगवंत मान ने चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की. उन्होंने आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार जानबूझकर यमुना में अमोनिया के खतरनाक स्तर को छोड़ रही है, जिससे दिल्ली की जल आपूर्ति खतरे में पड़ रही है.
यमुना में क्यों बढ़ा जाता है अमोनिया का स्तर?
जानकारी के अनुसार, हरियाणा के पानीपत और सोनीपत जिलों में डाई इकाइयां, डिस्टिलरी, अन्य कारखाने और कॉलोनियों से निकलने वाला सीवेज वजीराबाद में दिल्ली में प्रवेश करने से पहले यमुना को प्रदूषित करते हैं. इसके चलते नदी के कई गुणवत्ता मापदंड प्रभावित होते हैं. इससे पानी में घुली ऑक्सीजन भी जीरो हो जाती है.
सर्दी के महीनों में स्थिति और खराब हो जाती है, क्योंकि नीचे की ओर मीठे पानी की कमी होती है. इसके अलावा, जल उपचार संयंत्र एक भाग प्रति मिलियन (पीपीएम) से अधिक अमोनिया सामग्री वाले पानी का उपचार नहीं कर सकते हैं. नतीजतन जब नदी में अमोनिया का स्तर बढ़ जाता है तो राजधानी में पानी की आपूर्ति बाधित हो जाती है.
अमोनिया की समस्या का हल निकालने में सरकारें विफल
दिल्ली और हरियाणा की सरकारें कई सालों से पानी में अत्यधिक अमोनिया की समस्या को हल करने के लिए कोई उचित समाधान निकालने में विफल रही हैं. दिल्ली सरकार ने मार्च 2023 में संकट के तत्काल समाधान के रूप में वजीराबाद तालाब पर एक इन-सीटू अमोनिया ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने का प्रस्ताव रखा था. हालांकि, यह अभी भी निर्माणाधीन है. हरियाणा सरकार ने प्रदूषकों के आपस में मिलने को रोकने के लिए पाइपलाइन बिछाने का काम भी अभी पूरा नहीं किया है.
क्या है अमोनिया?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, पानी में आसानी से घुलने वाला अमोनिया एक रंगहीन पदार्थ है. अमोनिया के मुख्य स्रोतों में खेती की जमीन से निकलने वाला पानी और अमोनिया का इस्तेमाल करने वाले उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषक शामिल हैं. अमेरिकी स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग के अनुसार, मानव शरीर में अमोनिया के दीर्घकालिक प्रभाव के कारण आंतरिक अंगों को नुकसान हो सकता है.
कैसे होता है ट्रीटमेंट?
दिल्ली जल बोर्ड के वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट अत्यधिक अमोनिया के उपचार के लिए क्लोरीन का उपयोग करते हैं. अधिकारियों के अनुसार, एक पीपीएम अमोनिकल नाइट्रोजन को बेअसर करने के लिए प्रति घंटे प्रति लीटर पानी में 11.5 किलोग्राम क्लोरीन की आवश्यकता होती है. ट्रीटमेंट के बाद भी पानी में क्लोरीन की कुछ मात्रा रहनी चाहिए ताकि रोगाणुओं को बेअसर किया जा सके.
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