Year Ender 2023: ईडब्ल्यूएस एडमिशन, 2000 के नोट सहित 5 बड़े मसलों पर दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले
Goodbye 2023: दिल्ली हाईकोर्ट में जनवरी से लेकर अब तक जनहित से जुड़े कई मामले अदालत के सामने आये. अपने फैसलों से अदालत जनहित को संरक्षित रखने पर जोर देती नजर आई.
Delhi Flashback 2023: दिल्ली वालों के लिहाज से साल 2023 जनहित के कई मामलों की वजह से सुर्खियों में रहा. चाहे मामला ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत गरीब बच्चों का प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन से जुड़ा हो या एमसीडी स्टैंडिंग कमेटी से जुड़ा मसला या फिर आरबीआई द्वारा 2000 का नोट मार्केट से वापस लेने या बाटला हाउस कांड के एक आरोपी की सजा को फांसी से उम्रकैद में बदलने का मामले हमेशा छाए रहे. इसके अलावे भी जनहित से जुड़े ऐसे कई मामले हैं, लेकिन हम ऐसे पांच मामले के बारे में बता रहे हैं जो लगातार सुर्खियों में रहे.
1. एमसीडी स्टैंडिंग कमेटी विवाद
दिल्ली हाईकोर्ट ने एमसीडी की स्टैंडिंग के छह सदस्यों के चुनाव विवाद को लेकर 25 फरवरी को अहम फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव दोबारा नहीं होगा. चुनाव में जो मत डाले गए हैं, उन मतपत्रों को सुरक्षित रखा जाए. पहले के चुनाव परिणाम को ही वैध माना जाए. बता दें कि दिल्ली नगर निगम चुनाव परिणाम आने के बाद स्टैंडिंग कमेटी के छह सदस्यों के चुनाव के लिए मतदान हुआ था. बीजेपी ने दावा किया था कि आप और बीजेपी के 3-3 सदस्य चुनाव जीत गए, लेकिन महापौर शैली ओबेरॉय ने गलत तरीके से दोबारा चुनाव करवाने का फैसला सुना दिया. इसे बीजेपी नेताओं ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि मेयर बैलेट पेपर, सीसीटीवी फुटेज और उपलब्ध अन्य जानकारी को सुरक्षित रखें.
2. EWS एडमिशन
साल 2021 में एक प्राइवेट द्वारा ईडब्ल्यूएस कोटे में आने वाले तीन बच्चों को दाखिला देने से इनकार करने के बाद पीड़ित बच्चों ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर न्याय की मांग की थी. 22 जून को गरीब बच्चों की याचिका पर सुनवाई के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी के एक निजी स्कूल को दाखिला देने का निर्देश दिया था. अदालत ने कहा था कि गरीब, वंचित समूहों और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के छात्रों को जीवन में आगे बढ़ने और अन्य बच्चों के साथ स्कूलों में बेहतर शिक्षा करने के समान मिलने चाहिए. ताकि गरीब बच्चे भी समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि इस बात को ध्यान में रखते हुए ईडब्ल्यूएस और वंचित समूह के तहत उपलब्ध सीटों को व्यर्थ जाने नहीं दिया जा सकता. ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 21ए और शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून के तहत मिले अधिकारों का उल्लंघन होगा.
3. 2000 का नोट वापस लेने के फैसले को कोर्ट ने ठहराया सही
दिल्ली उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने तीन जुलाई को भारतीय रिजर्व बैंक के दो हजार रुपये के नोट को चलन से वापस लेने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था. याचिकाकर्ता रजनीश भास्कर गुप्ता ने दलील दी थी कि आरबीआई के पास दो हजार रुपये के नोट को चलन से वापस लेने की कोई शक्ति नहीं है और इस संदर्भ में केवल केंद्र सरकार ही फैसला कर सकती है. आरबीआई के पास किसी भी मूल्य के बैंक नोट को बंद करने का निर्देश देने की कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं है. यह शक्ति केवल वर्ष 1934 के आरबीआई अधिनियम की धारा 24 (2) के तहत केंद्र सरकार के पास है. आरबीआई ने यह कहते हुए विरोध किया था कि दो हजार रुपये के नोट को चलन से वापस लेना मुद्रा प्रबंधन अभियान का हिस्सा है और यह आर्थिक योजना से जुड़ा मामला है. इसके बाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि नागरिकों को होने वाली असुविधा से बचाने के लिए आरबीआई ने ऐसा किया था. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि वह किसी नीतिगत निर्णय पर अपीलीय प्राधिकरण के रूप में कार्य नहीं कर सकती. बता दें कि आरबीआई ने 19 मई को दो हजार रुपये के नोटों को चलन से वापस लेने की घोषणा की थी. साथ ही कहा था कि मौजूदा नोट को 30 सितंबर तक बैंक खातों में जमा किया जा सकता है या बदला जा सकता है.
4. बाटला हाउस एनकाउंटर
दिल्ली हाईकोर्ट ने 12 अक्टूबर 2023 को 2008 के बाटला हाउस एनकाउंटर के दोषी आरिज खान को मिली फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अमित शर्मा की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था. आरिज खान इंडियन मुजाहिदीन का आतंकी है. उस पर दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या का आरोप है. दिल्ली की साकेत कोर्ट ने इस मामले में आरिज खान को 8 मार्च को दोषी करार दिया था. अदालत ने 14 मार्च 2021 को आरिज को फांसी की सजा सुनाई थी, तब कोर्ट ने कहा था कि यह क्राइम रेयरेस्ट ऑफ रेयर कैटेगरी का है. आरिज ने कोर्ट के इस फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
5. मकान मालिक बनाम किरायेदार विवाद
एक दिसंबर 2023 को दिल्ली हाईकोर्ट ने मकान मालिक और किरायेदार से जुड़े एक विवद को लेकर अपने फैसले में कहा था कि कोई भी किरायेदार मकान मालिक को यह आदेश नहीं दे सकता है कि वह अपनी प्रॉपर्टी का इस्तेमाल कैसे करे. कोर्ट ने यह फैसला मकान मालिक और किरायेदार के बीच हुए विवाद में सुनवाई के बाद सुनाते हुए किरायेदार को दुकान खाली करने को कहा था. कोर्ट ने कहा कि मकान मालिकों को अपनी जमीन के अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता है. कोर्ट भी किसी मकान मालिक को उसकी जमीन कैसे इस्तेमाल की जाए, इसपर कोई आदेश नहीं दे सकता है. दुकान के मालिक द्वारा दायर की गई याचिकापर उच्च न्यायालय ने कहा कि दुकान के मालिक को यह अधिकार है कि वह अपने परिसर को पूरी तरह खाली करवा ले.