Year Ender: अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से जमानत तक, 2024 में अदालतों के इन फैसलों की रही चर्चा
Year Ender 2024: दिल्ली की अदालतें साल 2024 में कई मामलों की सुनवाई को लेकर चर्चा में रहीं. इनमें अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और जमानत के आदेश शामिल हैं.
साल 2024 खत्म होने वाला है. यह साल कई मामलों को लेकर सुर्खियों में रहा. इसमें दिल्ली की अदालतें भी खूब चर्चा में रहीं. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की 2021-22 की आबकारी नीति मामले में गिरफ्तारी और इससे जुड़े मामलों में सामने आए नाटकीय घटनाक्रम ने 2024 में राष्ट्रीय राजधानी की निचली अदालतों में सुर्खियां बटोरीं.
लोअर कोर्ट से जमानत, हाई कोर्ट ने लगा दी थी रोक
देश में गिरफ्तार होने वाले पहले मुख्यमंत्री केजरीवाल को इस मामले में आरोपी बनाया गया और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें 21 मार्च को हिरासत में लिया था और अगले दिन अदालत में पेश किया था. उन्हें पहले 28 मार्च तक और फिर एक अप्रैल तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया. हालांकि, स्पेशल जज जिस्टिस बिंदू ने 20 जून को उन्हें जमानत दे दी थी और कहा था कि ईडी कथित घोटाले में अपराध की आय के संबंध में उनके खिलाफ प्रत्यक्ष सबूत देने में विफल रही है. हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट ने ईडी के अनुरोध पर 21 जून को आदेश पर रोक लगा दी थी.
26 जून को सीबीआई ने किया गिरफ्तार
इस कथित घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में 26 जून को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने केजरीवाल को फिर से गिरफ्तार कर लिया. सीबीआई द्वारा पूछताछ करने के बाद 29 जून को एक अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक को आखिरकार 12 जुलाई को ईडी मामले में और 13 सितंबर को सीबीआई मामले में उच्चतम न्यायालय से राहत मिली, जिसके बाद जेल से उनकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया.
27 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत
इसके अलावा, इसी शराब नीति मामले में इन एजेंसियों ने 15 मार्च और 11 अप्रैल को भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता को गिरफ्तार किया था और इनसे जुड़ी अदालत की कार्यवाही भी सुर्खियों में रही. आखिरकार शीर्ष अदालत ने हस्तक्षेप किया और 27 अगस्त को दोनों मामलों में उन्हें जमानत दे दी. सीबीआई ने जुलाई में केजरीवाल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया था, जबकि इससे पहले दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया गया था.
फोटोग्राफर अंकित सक्सेना का मामला
इसी साल फोटोग्राफर अंकित सक्सेना का मामला तब समाप्त हो गया जब सात मार्च को दोषियों को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. अंकित सक्सेना की 2018 में उनकी प्रेमिका के परिजनों ने दूसरे धर्म से संबंधित होने के कारण हत्या कर दी थी. इन तीनों में उनकी प्रेमिका के माता-पिता अकबर अली और शहनाज़ बेगम तथा मामा मोहम्मद सलीम शामिल थे.
बृज भूषण सिंह के खिलाफ सुनवाई
भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी नेता बृज भूषण सिंह पर महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया और इस संबंध में शिकायत के बाद 21 मई को अदालत ने उनके खिलाफ संबंधित आरोप तय कर दिए. भूषण के अलावा डब्ल्यूएफआई के तत्कालीन सहायक सचिव और सह-आरोपी विनोद तोमर पर भी आरोप लगे थे. उन्होंने खुद को निर्दोष बताया.
मेधा पाटकर से जुड़ी कोर्ट की सुर्खियां
नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को उपराज्यपाल वी के सक्सेना द्वारा दायर मानहानि के मामले में एक जुलाई को एक अदालत ने पांच महीने की साधारण कारावास की सजा सुनाई थी. यह मामला सक्सेना ने तब दायर किया था जब वह 23 साल पहले गुजरात में एक एनजीओ का नेतृत्व करते थे. हालांकि, जज ने सजा को निलंबित कर दिया और उनकी अपील अदालत में लंबित है.
सिख विरोधी दंगा मामला
कांग्रेस के एक अन्य नेता जगदीश टाइटलर पर 1984 के सिख विरोधी दंगों में शामिल होने का आरोप है. 13 सितंबर को उनके खिलाफ हत्या और अन्य अपराधों के आरोप तय किए गए. उन्होंने खुद को निर्दोष बताया है.
इंजीनियर रशीद को कोर्ट ने दी जमानत
जम्मू-कश्मीर में कथित आतंकी फंडिंग मामले में आरोपी इंजीनियर रशीद ने 2024 के आम चुनाव में जम्मू-कश्मीर लोकसभा सीट से जीत दर्ज की है. बाद में उन्हें विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार करने के वास्ते 11 सितंबर को अंतरिम जमानत दे दी गई. उन्हें दो अक्टूबर तक राहत दी गई थी, जिसे बाद में बढ़ा दिया गया और उन्होंने 28 अक्टूबर को आत्मसमर्पण कर दिया. अदालत ने उनकी नियमित जमानत याचिका पर आदेश पारित करने से इनकार कर दिया.
उमर खालिद और शरजील इमाम को राहत नहीं
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के अलग-अलग मामलों में आरोपी जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद, छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम और ‘आप’ के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को अदालत से कोई राहत नहीं मिली. हालांकि खालिद को दिसंबर में परिवार की शादी में शामिल होने के लिए सात दिन की जमानत दी गई.
कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां के खिलाफ आरोप तय
दंगों से जुड़े एक अन्य मामले में अदालत ने कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां, ‘यूनाइटेड अगेंस्ट हेट’ के संस्थापक खालिद सैफी और 11 अन्य के खिलाफ हत्या के प्रयास और गैरकानूनी ढंग से एकत्र होने के आरोप तय किए.
जमीन के बदले नौकरी का मामला
राजनीतिक नेताओं से जुड़े मामलों की सूची में “जमीन के बदले नौकरी” का मामला भी शामिल है, जिसमें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद, उनकी पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, उनके बेटे तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव और उनकी बेटियां मीसा भारती और हेमा यादव शामिल हैं. इन सभी को विशेष अदालत से जमानत मिल गई है. लालू और उनके बेटों को सात अक्टूबर को जमानत मिली थी.
सत्येंद्र जैन को जमानत
मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना कर रहे ‘आप’ के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन को 18 महीने जेल में रहने के बाद 18 अक्टूबर को जमानत मिल गई.
अमानतुल्लाह खान की रिहाई
एक ऐसा फैसला जिसने काफी हलचल मचाई वह था ‘आप’ विधायक अमानतुल्लाह खान की रिहाई. अदालत ने 14 नवंबर को उनकी रिहाई का निर्देश दिया, जबकि दिल्ली वक्फ मामले में अनियमितताओं के एक मामले में उनके खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया.
ये भी पढ़ें: दिल्ली में New Year पर सुरक्षा के खास इंतजाम, AI से रखी जाएगी निगरानी, 600 जवान रहेंगे तैनात