एटा। एक तरफ जहां पूरा देश कोरोना जैसी महामारी से पीड़ित है तो वहीं जनपद में डेंगू के डंक ने लोगों को शिकार बना रखा है. यहां डेंगू के डंक ने मौत का ऐसा तांडव मचाया है कि एटा के कसेटी गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है. डेंगू की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गांववालों के मुताबिक पिछले 7 दिनों में करीब 16 लोगों की जान चली गई है. वहीं, सैंकड़ों लोग अब भी बीमारी की चपेट में हैं. ये लोग आगरा, अलीगढ़, इटावा, दिल्ली जैसे महानगरों के बड़े हॉस्पिटल में अपना इलाज करा रहे हैं.


अनेकों परिवार डेंगू और मलेरिया के भय की वजह से गांव से पलायन कर गए हैं. आरोप है कि जिला अस्पताल और प्रशासन गांववालों को समुचित इलाज मुहैया नहीं करा पा रहा है. जिसे लेकर गांव के लोगों में आक्रोश भी है.


ग्रामीणों ने लगाए आरोप
ग्रामीणों का कहना है कि इस भयावहता में भी स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव में कोई कैंप नहीं किया. विभाग ने सिर्फ दवा के नाम पर कुछ गोलियां बांटकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली है. जिला प्रशासन की इस बेरुखी से आहट ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से गुहार लगाते हुए कहा है कि सरकार उनकी जान बचाए.


मलेरिया अधिकारी के दावे
उधर, स्वास्थ्य विभाग एटा के मलेरिया अधिकारी शशांक सिंह का कहना है कि गांव मे डेंगू की बीमारी फैलने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार इस गांव का दौरा कर रही है. उन्होंने कहा कि गांव के लोगों के टेस्ट भी किए जा रहे हैं और दवाएं भी बांटी जा रही है. उन्होंने कहा कि पिछले 8-10 दिनों से टीम गांव जा रही है. डेंगू, मलेरिया के लिए लोगों की की जांच भी हो रही हैं. जो लोग डेंगू से पीड़िता पाए जा रहे हैं उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है.


मलेरिया अधिकारी शशांक सिंह ने लोगों से कूलर के पानी और फ्रिज के क्रेट के पानी को बदलते रहने की अपील की है. साथ ही उन्होंने पानी जमा न होने देने और साफ-सफाई रखने की लोगों से अपील भी की है.


निजी अस्पतालों की ओर रुख
उल्लेखनीय है कि लोग डेंगू से घबराकर निजी अस्पतालों की ओर रुख कर रहे हैं. हालांकि, स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि वह लगातार जिम्मेदारी निभा रहा है. गांव के एक-दो घर में तो हालात इतने भयावह हैं कि घर के दो-दो सदस्यों की डेंगू से मौत हो चुकी है. एक और गांव में डेंगू लोगों की जान ले रहा है तो वहीं प्रशासन की बेरुखी से ग्रामीणों की चिंताएं बढ़ा रही हैं. यदि जिला प्रशासन ने डेंगू की रोकथाम के युद्ध स्तर पर प्रयास न किये तो स्थिति बहुत ही भयनक हो सकती है.


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