गोरखपुर, एबीपी गंगा: वैश्विक महामारी के बीच बाढ़ ने भी ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी है. ऐसे में इंसान-बेजुबान सब परेशान हैं. जहां लोगों को ऊंचे स्थानों पर शरण लेनी पड़ी है तो वहीं इक्का-दुक्का गांव में सरकारी मदद का कोरम भी लोगों की परेशानी बढ़ा रहा है. प्रभावित गांव में अभी तक सरकारी मदद भी नहीं पहुंची है. 10 से 15 दिनों से टापू बन चुके गांववाले मदद की आस लगाए बैठे हैं. लेकिन महकमा जागा, तो एक गांव में राशन और अन्य जरूरत की चीजें पहुंचा दी. लेकिन, एक गांव में मदद के कोरम से लोगों की मुश्किलें कम नहीं होने वाली. वह भी तब जब दर्जनों की संख्या में गांव बाढ़ की भेंट चढ़ गए हैं.
दरअसल, गोरखपुर शहर के उत्तर, पश्चिम और दक्षिण में जिधर भी देखिए राप्ती, रोहिन और सरयू के साथ अब कुआनों भी रौद्र रूप ले रही है. गोरखपुर के पिपरौली, पाली और खोराबार ब्लॉक के दर्जनों गांव टापू बन गए हैं. जंगल कौड़िया ब्लॉक के राजीपुर दूबी गांव में तो एक दर्जन से अधिक मकान राप्ती में समा चुके हैं. वहीं पाली ब्लॉक में भी अधिकतर गांव और खेत डूबने से किसानों को काफी नुकसान हुआ है. पिपरौली ब्लॉक में भी कमोबेश यही हाल है. जिला प्रशासन अभी तक सब जानते हुए भी चुप्पी साधे बैठा रहा है. मुख्यमंत्री के खुद संज्ञान लेने और बाढ़ से घिरे क्षेत्रों का हवाई दौरा करने के बाद भी स्थितियां जस की तस रही हैं.
एबीपी न्यूज लगातार ऐसे गांव में पहुंचकर लोगों की समस्याओं के बारे में बता रहा है. उद्देश्य यही है कि प्रशासनिक और सरकारी मदद के साथ रोजमर्रा की जरूरतें बंधे पर रहने वाले लोगों की पूरी हो सके. लेकिन, हर तरफ निराशा ही हाथ लग रही है. नतीजा जब शासन ने खबरों का संज्ञान लिया, तो आनन-फानन में एक गांव में राशन बांटकर कोरम पूरा कर लिया गया. गोरखपुर के जिलाधिकारी के. विजयेन्द्र पाण्डियन ने जंगलकौडि़या ब्लॉक के उतरासौर ग्रामसभा के सेमरा टोले में जाकर राहत सामग्री बांटी. इसी गांव में एक दिन पहले भी जिला प्रशासन ने राहत सामग्री बांटी थी. हालांकि जहां दर्जनों गांव प्रभावित हैं, वहां एक गांव में राहत सामग्री बांटने से कुछ नहीं होने वाला है. किसानों की फसलें डूबने से भी भारी नुकसान हुआ है.
गोरखपुर के पिपरौली ब्लॉक के शेरगढ़ गांव के लोगों ने बंधे पर शरण ली हुई है. यहां के रहने वाले लोगों से हमने बात करने की कोशिश की, तो उनका दर्द कैमरे पर छलक गया. ग्रामीणों ने कहा कि कोई सरकारी और प्रशासनिक मदद नहीं मिल रही है. राशन-पानी तो दूर की बात है. वे 10 से 15 दिन से इसी हाल में बंधे में पर मवेशियों के साथ रह रहे हैं. कोई प्रशासनिक या सरकारी अफसर हाल तक लेने नहीं आया है. गांव डूबकर टापू बन गया है. नाव ही गांव में पहुंचने और घर में रखा राशन लाने का एक सहारा है. वे यहीं पर किसी तरह गुजर-बसर कर रहे हैं.
उधर, जिलाधिकारी के. विजयेन्द्र पाण्डियन ने आज जगतबेला के सेमरा गांव में जाकर लोगों का हाल लिया और बाढ़ से बचाव के उपाय के बारे में लोगों को बताया. इसके पहले एसडीएम सदर/ज्वाइंट मजिस्ट्रेट युवा आईएएस आफीसर गौरव सिंह सोगरवाल ने पहुंचकर जगतबेला के सेमरा गांव के लोगों को राहत सामग्री का पैकेट वितरित कराया. उन्होंने बताया कि तहसील सदर में 14 गांव मैरुंड है. 7 गांव आंशिक रूप से मैरुंड है. जंगल कौड़िया ब्लॉक के उतरासौर ग्रामसभा के सेमरा टोला के 200 परिवार जलमग्न हो गया है. यहां एक तरफ से रास्ता बना हुआ था, लेकिन अब वो भी पूरी तरह से मैरुण्ड हो गया है.
सोगरवाल ने बताया कि हमारी टीम वहां पर गई थी. वहां राहत सामग्री का वितरण किया गया. 200 परिवारों को राहत सामग्री के साथ चारे का वितरण किया गया है. बाढ़ राहत के लिए शरण के लिए उतरासौर के प्राथमिक विद्यालय के साथ एक और जगह को बाढ़ राहत के शरण के लिए चिह्नित किया गया है. उन्होंने बताया कि इसके पास में उतरौलिया गांव भी पूरी तरह से मैरुण्ड हो गया है. वहां पर नाव लगा दी गई है. राशन किट का वितरण हो रहा है. नौसड़ सर्किल क्षेत्र के बड़गो, बहरामपुर, मंझरिया, अजवनियां मैरुण्ड हो चुके हैं. यहां पर 53 नाव लगाई गई है. राहत सामग्री आवश्यकतानुसार बांट जाएगी. प्लास्टिक सीट बांट दी गई है.
पिपरौली ब्लॉक के पिपरी गांव में भी जल भराव की समस्या रही है. बारिश के कारण जलभराव की समस्या थी. उसे दूर कराया जा रहा है. खोराबार में सेंदुली-बेंदुली गांव में बारिश के कारण जलभराव की समस्या को दूर किया जा रहा है. इसके अलावा शहर के कुछ मोहल्लों में बारिश के कारण जलभराव की समस्या को दूर किया जा रहा है. शेरगढ़ और अन्य गांव में राहत पहुंचाई जा रही है. दो दिनों में बारिश के कारण समस्या हो सकती है. बाढ़ राहत में शिथिलता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. सेमरा में शिथिलता को लेकर कानूनगो और लेखपाल से स्पष्टीकरण मांगा गया है.
यूपी सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक यूपी के कुल 12 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं. जिनमें लखनऊ के पूरब यानी पूर्वी यूपी के 10 और 2 पश्चिमी यूपी के हैं. कुल 331 गांव प्रभावित हैं. तीन नदियां खतरों के निशान से ऊपर बह रही हैं. कहीं बांध अभी नहीं कटे हैं. लेकिन, गोरखपुर में राप्ती नदी बर्ड घाट पर खतरे के बिंदु 74.8 से 0.97 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. नदी उतार पर है. रोहिणी नदी त्रिमुहानी घाट पर खतरे के बिंदु 82.44 से 0.47 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. नदी चढ़ाव पर है. सरयू नदी तुर्तीपार में खतरे के बिंदु 64.01 से 0.57 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. नदी चढ़ाव पर है. कुआनो नदी मुखलिसपुर में खतरे के बिंदु 78.65 से .23 सेंटीमीटर नीचे बह रही है. खतरे की बात ये है कि कुआनो चढ़ान पर है.
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