मेरठ: उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में बाढ़ का खतरा बना हुआ है लेकिन अब पश्चिमी यूपी में भी नदियां उफान पर हैं. यहां भी बाढ़ का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. प्रशासन अलर्ट मोड पर है और ग्रामीण पूजा कर नदियों को शांत करने में लगे हैं. रास्ते इतने खराब हो चुके हैं कि पैदल चलना बेहद मुश्किल है. ऐसे में एबीपी गंगा की टीम ने टैक्टर की सवारी कर बाढ़ के हालातों का जायजा लिया.
हस्तिनापुर के ग्रामीण इलाकों में बाढ़ का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. यहां गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ने से ग्रामीण और प्रशासन से जुड़े लोग चिंतित हैं. यही वजह है प्रशासन ने करीब 30 गांवो को हाई अलर्ट पर रखा है तो वहीं, ग्रामीण गंगा तट पर बैठकर मां गंगा की पूजा-अर्चना कर रहे हैं. अधिकारी मौके पर मौजूद हैं और हालात पर नजर बनाए हुए हैं.
गंगा में बढ़ता पानी लगातार बांध को काट रहा है, यही वजह है कि ग्रामीण परेशान हैं. बांध कटते ही कई गांवों में बाढ़ का पानी घुस जाएगा जिससे लोगों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी. ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन की टीम और नेता-मंत्री सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए आते हैं. कोई भी मदद नहीं कर रहा है. लोग पूरी रात जाग-जागकर पहरा दे रहे हैं.
एबीपी गंगा की टीम ने मौके पर मौजूद प्रशासनिक टीम से भी बात की और ये जाना कि बाढ़ से बचाव के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं. खण्ड विकास अधिकारी शैलेश कुमार सिंह ने बताया कि ''हम पूरा प्रयास कर रहे और उम्मीद है कि पानी को गांव में दाखिल होने से रोक लेंगे. हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है.''
एबीपी गंगा की टीम ने सिंचाई अधिकारी पीके जैन से भी बात की. जैन ने बताया कि ''करीब एक लाख 50 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था जिसका असर देखने को मिला है. अब धीरे-धीरे जल स्तर कम हो रहा है और प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है. सिचाई विभाग ने 2015 में ही 5 परियोजनाओं को स्वीकृति के लिए शाशन को भेजा है. एक परियोजना को स्वीकृति मिली है जिस पर काम चल रहा. अगर 4 परियोजनाओं को और स्वीकृति मिल जाए तो निश्चित ही यहां बाढ़ का खतरा हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा.''
हालांकि, एबीपी गंगा की पड़ताल में साफ देखने को मिला कि स्थित काफी भयावह है और ग्रामीण डरे हुए हैं. वहीं, प्रशासन भी पूरी मुस्तैदी से इस आपदा से निपटने की बात कह रहा है. ग्रमीणों के लगाए गए आरोपों पर सच्चाई है तो प्रशासनिक अधिकारियों और नेताओं से गुजारिश है कि इस संकट की घड़ी में फोटो सेशन न करें बल्कि, ग्रामीणों की इस वक्त कैसे मदद की जाए इस पर ध्यान दें.
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