Bundi News: कोरोना काल के बाद उत्साह के साथ इस बार गणेश महोत्सव मनाया जाएगा. गणेश उत्सव मनाने के लिए लोगों में भारी उत्साह है. इस बार उत्साह ही नही योग भी शुभ है. यानी गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) बुधवार को आने के साथ ही रवि योग में मनाई जाएगी. गणेश महोत्सव चतुर्थी से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी तक 10 दिन तक चलेगा. 9 सितम्बर अनन्त चतुर्दशी को गणपति विसर्जन के साथ यह पूरा हो जाएगा. इस दिन घरों, मंदिरों, शैक्षणिक संस्थानों में मिट्टी के गणपति की स्थापना पूजा अर्चना की जाएगी. बता दे कि वर्ष 2003 में भी 31 अगस्त को तारीख, चित्रा नक्षत्र और शुक्ल योग का संयोग बना था. इसी दिन गणेश स्थापना की गई थी और ठीक 19 साल बाद 31 अगस्त का संयोग बना है.
2003 में बना था शुभ संयोग
ज्योतिषाचार्य पं. ज्योति शंकर ने बताया कि 30 अगस्त को चतुर्थी तिथि दोपहर 3 बजकर 33 मिनट से शुरू हो रही है, जो अगले दिन 31 अगस्त दोपहर 3 बजकर 22 मिनट तक रहेगी. इसके साथ ही चित्रा नक्षत्र रात्रि 12 बजकर 11 मिनट तक रहेगा और शुक्ल योग रात्रि 10 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. मध्याह्न व्यापिनी चतुर्थी होने से इसी दिन गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी. इस दिन बुधवार का विशेष संयोग भी प्राप्त होगा. वर्ष 2003 में भी 31 अगस्त को तारीख, चित्रा नक्षत्र और शुक्ल योग का संयोग बना था.
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ग्रह नक्षत्रों का संयोग, यह रहेगा शुभ मुहूर्त
पंडित ज्योति शंकर ने बताया कि इस दिन 4 ग्रह अपनी राशि में रहेंगे. सूर्य स्व राशि सिंह में, बुध कन्या राशि में, गुरु मीन राशि में, शनि मकर राशि में होंगे. इसके साथ शुक्र सिंह राशि में प्रवेश करके सूर्य के साथ युति करेंगे. चंद्रमा बुध की राशि कन्या से दोपहर बाद बदलकर तुला राशि में प्रवेश करेंगे. सम्पूर्ण अहोरात्र रवि योग का विशेष संयोग भी बनेगा. गणपति का जन्म मध्याह्न काल में होने से दोपहर 12 बजकर 3 मिनट से 2 बजकर 22 मिनट तक स्थापना पूजन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा.