प्रयागराज: लाखों-करोड़ों के बकाये बिजली बिल का भुगतान नहीं करने की बीमारी संगम नगरी प्रयागराज के भी सरकारी विभागों को भी लगी हुई है. यहां कुछेक सरकारी विभाग ऐसे हैं, जिन पर 71 करोड़ रूपये तक का बकाया है. पांच-दस करोड़ वालों की संख्या में तो कई विभाग शामिल हैं. पावर कॉर्पोरेशन बड़े सरकारी बकायेदारों से अपना पैसा पाने के लिए गुहार लगाता रहता है, लेकिन उनके सिर पर जूं नहीं रेंगती है. प्रयागराज के परेशान अफसरों ने अब बकाये का भुगतान पाने के लिए डीएम और कमिश्नर से दखल देकर मदद की गुहार लगाई है.


प्रयागराज में सरकारी विभागों पर पावर कॉर्पोरेशन का दो सौ करोड़ रूपये से ज़्यादा का बकाया है. अकेले शहरी इलाके में यूपी सरकार के प्रमुख दफ्तरों पर ही 131 करोड़ रूपये की देनदारी है. इनमें सबसे बड़ा बकायेदार पुलिस महकमा है. डंडे के ज़ोर पर बड़े-बड़ों की बोलती बंद कर देने वाले पुलिस महकमे पर 71 करोड़ रुपए की देनदारी है. 71 करोड़ की बड़ी रकम का मतलब है कि लम्बे अरसे से बिजली बिल का भुगतान ही नहीं किया गया है.


इलाहाबाद सेंट्रल युनिवर्सिटी पर तकरीबन 20 करोड़ रुपये की देनदारी है. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के दफ्तर पर 15 करोड़ रुपये का बकाया है. इसके अलावा जिला प्रशासन पर 91 लाख, उच्च शिक्षा विभाग पर 71 लाख, अधिष्ठान विभाग पर 54 लाख, एलोपैथिक चिकित्सा विभाग पर 74 लाख, लोक सेवा आयोग पर 35 लाख, न्याय विभाग पर 27 लाख, कोषागार पर 23 लाख, सिंचाई विभाग पर 11 लाख, प्राथमिक शिक्षा पर 16 लाख, मंडी समिति पर 10 लाख और खेल विभाग पर 17 लाख रुपये बकाया है.


कई सरकारी विभाग ऐसे हैं, जो नियमित तौर पर बिजली बिल का भुगतान कर देते हैं, कुछेक हर साल मार्च के महीने में वित्तीय वर्ष ख़त्म होने से पहले भुगतान करते हैं. हालांकि कुछ विभाग ऐसे भी हैं, जो लाख कवायद के बावजूद बिजली बिल का भुगतान करने की जहमत नहीं उठाते. शहरी क्षेत्र में वितरण का काम देखने वाली पावर कार्पोरेशन के अधीक्षण अभियंता आर के सिंह के मुताबिक़ प्रयागराज में परिवहन, होम्योपैथी चिकित्सा, आरएएफ कमांडेंट, समाज कल्याण और उद्यान विभाग समेत कई ऐसे भी दफ्तर हैं, जिन पर आज की तारीख में एक भी पैसा बकाया नहीं है. उनके मुताबिक़ कई विभागों का ट्रैक रिकार्ड काफी बेहतर है और वह बिजली बिल के समय पर भुगतान की अपनी ज़िम्मेदारी को ठीक से निभाते भी हैं.


दूसरी तरफ प्रयागराज मंडल के चीफ इंजीनियर ओपी यादव के मुताबिक़ बड़े सरकारी बकायेदार पावर कार्पोरेशन के लिए कई बार मुसीबत का सबब बन जाते हैं. विभाग की टीम उन पर समय से भुगतान का दबाव डालती है, उन्हें प्रेरित करती है, जिन विभागों पर ज़्यादा बकाया है. उनके लिए डीएम और कमिश्नर से मदद ली जा रही है. प्रतियोगी छात्र प्रशांत पांडेय और शिशिर सिंह का कहना है कि अगर छोटे से बकाये पर आम उपभोक्ता की बिजली काट दी जाती है तो बड़े सरकारी बकायेदारों पर भी शिकंजा कसना चाहिए.