अयोध्या: श्री राम मंदिर निर्माण के साथ भव्य और दिव्य अयोध्या का सपना भी साकार होने जा रहा है. राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी जा चुकी है. रामलला के मंदिर के स्वरूप को लेकर के तमाम तरीके के लगाए जा रहे कयासों पर भी विराम लग चुका है. मंदिर का स्वरूप भव्य और दिव्य होगा. मंदिर की ऊंचाई और चौड़ाई तथा उसके शिवालयों में भी बदलाव किया गया है. मंदिर जमीन से 121 फीट ऊंचा था जो अब 161 फीट ऊंचा होगा. अयोध्या को सजाने और संवारने की बात प्रधानमंत्री स्पष्ट कर चुके हैं. अयोध्या में जैसे जैसे मंदिर का निर्माण होगा, वैसे वैसे पर्यटक भी अयोध्या आएंगे और मंदिर के निर्माण के साथ ही पर्यटकों की मूलभूत सुविधाओं को भी अब ध्यान में रखा जाएगा.


नगर विधायक वेद प्रकाश गुप्ता ने बताया कि रामलला के परिसर में 65 एकड़ के एरिया में धीरे धीरे गुणवत्तापूर्ण काम कराया जाएगा, जिसमें श्रद्धालुओं की सुविधाओं को भी ध्यान में रखा जाएगा. रामलला के दर्शन को आने वाले पर्यटकों को इस बात का आभास हो कि वह राम की नगरी में हैं, इस उद्देश्य से रामलला के परिसर में ही राम के जीवन पर आधारित तमाम प्रसांगिक दर्शनीय कथा और राम के जीवन चरित्र पर आधारित प्रदर्शनी लगेगी, साथ ही राम जन्म भूमि के परिसर के अंदर चिन्हित विभिन्न स्थानों के सौंदर्यकरण का भी कार्य किया जाएगा. रामलला के परिसर में जो भी काम होगा वह गुणवत्तापूर्ण होगा और साथ ही इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि वह लॉन्ग लाइफ हो. सौंदर्य करण की दृष्टि से भी रामलला के परिसर की मैक्सिमम जमीन का उपयोग करते हुए सौंदर्यीकरण का कार्य भी किया जाएगा.


ऐसा होगा मंदिर का स्वरूप


विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा का दावा है कि राम मंदिर का जो स्वरूप होगा, वह व्यापक होगा. पूर्व में निर्धारित स्वरूप में बदलाव हुआ है. पहले या रामलला का स्वरूप 121 फीट ऊपर था अब इसको बड़ा करके 161 किया गया है. पहले रामलला के मंदिर की चौड़ाई 140 फीट थी, जिसको बढ़ाकर 235 फिट कर दिया गया. राम मंदिर की लंबाई 265 से बढ़ाकर 350 फिट कर दी गई है. 67 एकड़ पर व्यापक स्तर पर मंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट ने नक्शा पास कराने के लिए आवेदन कर दिया है और भगवान राम के जीवन पर आधारित है. राम कथा कुंज जिसमें भगवान राम के जीवन पर विभिन्न प्रासंगिक चित्रों और मूर्तियों के माध्यम से दर्शकों और पर्यटकों को दिखाए जाएंगे, साथ ही राम जन्मभूमि परिसर में नक्षत्र वाटिका भी लगाई गई है. राम जन्मभूमि परिसर में 4 अन्य मंदिर भी होंगे, जिसमें शेषनाग अवतार लक्ष्मण जी का मंदिर होगा. साथ ही चार गोपुरम भी होंगे. राम मंदिर के चार प्रवेश द्वार होंगे, जिनको गोपुरम कहा जाएगा. राम जन्मभूमि परिसर में भगवान राम के जीवन पर शोध करने वालों के लिए भी शोध संस्थान बनेगा, साथ ही राम जन्म भूमि परिसर के अंदर गुरुकुल की स्थापना होगी, जिससे कि बड़े पैमाने पर वेद पाठी बालक राम शिक्षा ले सकें.


नक्षत्र वाटिका की स्थापना


वहीं, ज्योतिष की मानें तो नक्षत्र वाटिका की स्थापना राम जन्मभूमि परिसर में बेहद शुभ है. किसी भी कार्य के पहले शुभ और अशुभ नक्षत्रों पर विचार किया जाता है और इसी को ध्यान में रखकर 27 नक्षत्र 27 तरीके के नक्षत्र से जुड़े हुए वृक्षों का रोपण उद्देश्य किया जाता है. पूरे विश्व का कल्याण हो, किसी भी तरीके की विपत्ति ना आए, मानव का कल्याण हो, नक्षत्र पर ही शुभ और अशुभ सभी तरीके के कार्य होते हैं. नक्षत्र वाटिका संपूर्ण भारत का केंद्र बनने जा रहे राम जन्मभूमि के लिए और पूरे सनातन समाज के लिए बेहद शुभ संकेत देने वाला है.


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