अहमदाबादः गुजरात उच्च न्यायालय ने एक सरकारी आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें स्कूल खुलने तक ट्यूशन फीस लेने से निजी स्कूलों को रोका गया था. अदालत ने कहा कि इस तरह के आदेश से छोटे स्कूल बंद हो जाएंगे. उच्च न्यायालय ने 31 जुलाई को इस संबंध में फैसला सुनाया था. फैसले को बुधवार को अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया गया. अदालत ने कोरोना वायरस महामारी के बीच 16 जुलाई को जारी सरकारी प्रस्ताव के तीन प्रावधानों को खारिज कर दिया.


शिक्षा और स्कूलों के संचालन के बीच तालमेल जरूरी- कोर्ट


मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा, ‘‘बच्चों को शिक्षा मुहैया कराने और स्कूल भी कायम रहें, इसके लिए दोनों के बीच संतुलन बनाना होगा.’’


अदालत ने कहा कि फीस वसूलने की अनुमति नहीं देने से कई छोटे स्कूल हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे, जबकि छात्रों को शिक्षा नहीं मिलने से लंबे समय में उनके समग्र और सामाजिक विकास पर असर पड़ेगा.


न्यायाधीशों ने कहा कि अभिभावकों को इस बात का एहसास होना चाहिए कि ऑनलाइन शिक्षा एक निरर्थक कवायद नहीं है. इसके साथ ही स्कूलों को भी इससे अवगत होना चाहिए कि अभिभावक आर्थिक अस्थिरता का सामना कर रहे हैं.


गुजरात सरकार के प्रस्ताव को निजी स्कूल संघ ने दी थी चुनौती


प्रस्ताव के संबंधित प्रावधानों को खारिज करते हुए अदालत ने सरकार से संतुलन बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करने को कहा ताकि अभिभावकों के साथ ही गैर सहायता प्राप्त स्कूलों के प्रबंधन के हितों की भी रक्षा हो.


गुजरात सरकार के प्रस्ताव में ऑनलाइन शिक्षा की पेशकश करने के बावजूद ट्यूशन फीस लेने पर रोक लगा दी गयी थी. निजी स्कूलों के संघ ने सरकार के आदेश को चुनौती दी थी. उच्च न्यायालय ने कहा कि स्कूल ट्यूशन फी वसूल सकते हैं ताकि वेतन, संचालन, पाठ्यक्रम से जुड़ी गतिविधियों और रख-रखाव का खर्चा निकल जाए.


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