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अहमदाबाद का पटेल परिवार कर चुका है 630 लीटर ब्लड डोनेट, तीन पीढ़ियां निभा रहीं परंपरा

Ahmedabad News: अहमदाबाद का पटेल परिवार 630 लीटर रक्तदान कर चुका है. वे साल 1985 से थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों की मदद के लिए रक्तदान कर रहे हैं. परिवार की तीसरी पीढ़ी भी इस परंपरा को जारी रख रही है.

Ahmedabad News: अहमदाबाद के माणिकबाग में रहने वाले पटेल परिवार ने ऐसा कमाल कर दिखाया है, जिसे जान आप दंग भी हो जाएंगे और शायद प्रेरित भी. रक्तनदान को महादान कहा जाता है, यानी इससे ज्यादा पुण्य का काम कुछ और नहीं. एक व्यक्ति के खून डोनेट करने से कई लोगों की जान बचाई जा सकती है. इसे सफल करते हुए अहमदाबाद के पटेल परिवार ने आज तक 630 लीटर ब्लड डोनेट किया है. 

27 सदस्यीय इस परिवार में 16 जन ऐसे हैं, जो 50 बार से ज्यादा रक्तदान कर चुके हैं. वहीं, उनमें से भी चार लोगों ने 100 से ज्यादा बार रक्तदान किया है. परिवार का कहना है कि सबने कुल मिलाकर आज तक 1400 यूनिट ब्लड डोनेट किया है. एक यूनिट ब्लड लगभग 450 ml होता है. ऐसे में इसका कुल हिसाब 630 लीटर बनता है.

सबसे ज्यादा ब्लड डोनेशन अहमदाबाद में
दरअसल, हर साल एक अक्टूबर को देश में 'नेशनल वॉलेंटरी ब्लड डोनेशन डे' मनाया जाता है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा ब्लड डोनेशन के मामले अहदमाबाद देश में पहले नंबर पर आता है. रिकॉर्ड है कि अहमदाबाद में कुल 130 लोग ऐसे हैं, जिन्होंने 100 से ज्यादा बार रक्तदान किया है. 

वहीं, अहमदाबाद के दो परिवार ऐसे हैं, जो सबसे ज्यादा रक्तदान का रिकॉर्ड रखते हैं. पटेल परिवार ने 1400 यूनिट (630 लीटर) खून दान किया है. वहीं, मावलंकर परिवार 790 यूनिट (356 लीटर) रक्तदान कर चुका है.

तीन पीढ़ियों से चल रही रक्तदान की परंपरा
डॉ. मौलिन पटेल ने टाइम्स ऑफ इंडिया को जानकारी दी कि रक्तदान की परंपरा उनके चाचा रमेशभाई ने शुरू की थी. वह सत्य साई बाबा के अनुयायी रहे और दान में विश्वास रखते थे. साल 1985 में उन्होंने संकल्प लिया था कि थैलेसीमिया से ग्रसित बच्चों के लिए खून की कमी नहीं होने देंगे. उन्होंने 94 बार रक्तदान किया था जबकि उनके बेटे अमूल अब तक 103 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं. इतना ही नहीं, परिवार की तीसरी पीढ़ी भी पूरे जोश से इस परंपरा को आगे बढ़ा रही है.

डॉ. मौलिन पटेल ने बताया कि उनकी बहन डिंपल 103 बार रक्तदान कर चुकी हैं. वहीं, अमेरिका में रह रहे उनके माता-पिता भी ब्लड डोनेशन की सेंचुरी छूने वाले हैं.

45 साल तक बिना गैप के किया ब्लड डोनेट
वहीं, मावलंकर परिवार के लिए ये परिवार साल 1962 में 'दि इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी' (IRCS) के गठन से शुरू हुई. डॉ. वीडी मावलंकर सोसाइटी की अहमदाबाद इकाई के को-फाउंडर थे. इस परिवार में 24 ब्लड डोनर्स हैं. परिवार के सिद्धार्थ मावलंकर आज तक 180 बार रक्तदान कर चुके हैं. 

डॉक्टर्स की एडवाइस के अनुसार, 3 महीने के गैप के साथ ब्लड डोनेट किया जा सकता है. यानी आप साल में चार बार रक्तदान कर सकते हैं. सिद्धार्थ मावलंकर ने 20 साल की उम्र से डोनेशन शुरू किया और 45 वर्ष तक लगातार डोनेशन किया. क्योंकि, 65 साल की आयु सीमा के बाद आप रक्तदान नहीं कर सकते.

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