Ahmedabad Municipal Corporation: सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा हरी झंडी देने से इनकार करने के बाद अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) द्वारा चाय के पेपर कप पर प्रतिबंध लगाने पर विवाद खड़ा हो गया है. एएमसी कार्यकारी विंग ने शुक्रवार से शहर में चाय के पेपर कप के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी, लेकिन सत्तारूढ़ बीजेपी ने इस फैसले को लागू करने के लिए हरी झंडी नहीं दी है, उसे डर है कि प्रतिबंध से पेपर कप निर्माण इकाइयां बंद हो सकती हैं और हजारों लोग बेरोजगार हो सकते हैं.


मेयर किरीट परमार ने कही ये बात?
एएमसी के मेयर किरीट परमार ने विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा, चाय के पेपर कप के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने वाला कोई सकरुलर नहीं है. यह कार्यकारी विंग के नगर आयुक्त का मौखिक आदेश है, जो स्टेशन से बाहर है. एक बार वह लौटते हैं, तो सभी पहलुओं पर चर्चा कर अंतिम निर्णय लिया जाएगा. दूसरी ओर उपायुक्त (ठोस अपशिष्ट) हर्षद सोलंकी ने दावा किया कि अंतिम उपयोगकर्ताओं द्वारा जिस तरह से इन पेपर कपों का निपटान किया जा रहा है, उसे देखते हुए यह निर्णय लिया गया है.


नाले चोक हो रहे हैं, इसलिए चाय के पेपर कप के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया. एएमसी की टीम एक सप्ताह से चाय के पेपर कप का उपयोग बंद करने के लिए लोगों को जागरूक कर रही है. चाय के कागज के कप बनाने वाले अभय मेहता का आरोप है, ''निगम के पास इसके कारण हो सकते हैं, लेकिन क्रियान्वयन अव्यवस्थित है और जल्दबाजी में किया जा रहा है.''


उन्होंने सवाल किया, अगर अंतिम उपयोगकर्ता नाले में इसे फेंक रहे हैं, तो निर्माताओं को इसके लिए दंडित क्यों किया जा रहा है. उन्हें डर है कि अगर प्रतिबंध लागू होता है तो यह शहर में 1,200 इकाइयों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से नियोजित कम से कम 10 हजार व अप्रत्यक्ष रूप से लगभग एक लाख लोग प्रभावित होंगे. मेहता ने कहा, चाय के कप बनाने में इस्तेमाल होने वाली सभी सामग्रियां स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा मानकों को पूरा कर रही हैं और कचरा खतरनाक नहीं है. वे उद्योग को क्यों मार रहे हैं? यह समझना मुश्किल है.


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