Admission Through RTE: कई स्कूलों में अमीर लोगों को शिक्षा के अधिकार कानून (RTE) का फायदा उठाते हुए देखा गया है. अब इसे रोकने के लिए स्कूल प्रशासन ने अपनी कमर कस ली है. दरअसल ऐसी सीटों पर गरीब सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के बच्चे का हक होता है. अहमदाबाद और राजधानी में कम से कम आधा दर्जन अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों ने आरटीई अधिनियम के तहत प्रवेश के लिए जमा किए गए दस्तावेजों को सत्यापित करने के लिए जासूसी एजेंसियों की सेवाएं लेने का फैसला लिया गया है.


प्राइवेट डिटेक्टिव करेंगे जांच


ट्यूलिप इंटरनेशनल स्कूल के योगेश श्रीधर ने कहा कि, "अतीत में, हमारे स्कूल के कर्मचारियों द्वारा जांच से पता चला है कि कुछ परिवारों ने आरटीई के तहत प्रवेश लिया था. जिनके पास चार पहिया वाहन, दो बेडरूम में एसी और उनके पिता की सैलरी 25,000-35,000 रुपये प्रति माह सामने आई थी. उनके पास कई वाहन भी मिले थे. योगेश ने बताया कि अब इसकी जांच के लिए प्राइवेट डिटेक्टिव को काम पर लगाया जायेगा. जो संदिग्ध मामले में इनके बैकग्राउंड की जांच करेंगे.


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एजेंसी की ली जायेगी मदद


आरटीई के तहत सामान्य वर्ग में 1.5 लाख रुपये प्रति वर्ष से कम वार्षिक आय वाले परिवारों के बच्चों को प्रवेश दिया जाता है जबकि अन्य श्रेणियों में आय सीमा कम है. आनंद निकेतन ग्रुप ऑफ स्कूल्स के ट्रस्टी कमल मंगल ने कहा कि इस काम के लिए एक एजेंसी की मदद ली गई है जो आरटीई मामलों के तहत जमा दस्तावेजों की सत्यता की जांच करेगी.


डीईओ हितेंद्र पढेरिया ने दी जानकारी


अहमदाबाद शहर के डीईओ हितेंद्र पढेरिया ने टीओआई को बताया कि उन्हें इस साल आरटीई प्रवेश के संबंध में तीन स्कूलों से शिकायतें मिली हैं. पढेरिया ने कहा, "आरटीई कानून के तहत गलत तरीके से पेश किए गए परिवारों को सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा और अनियमितता का दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी."


इस साल कई स्कूलों ने ली सेवा


डिटेक्टिव एजेंसियों ने माना कि वे अब स्कूलों से कारोबार कर रहे हैं. पेशेवर कारणों से नाम न छापने का अनुरोध करते हुए शख्स ने कहा, स्कूल ने हमें बैकग्राउंड की जांच करने और दस्तावेजों के सत्यापन का काम सौंपा है. इस साल, अहमदाबाद के छह स्कूलों और गांधीनगर के तीन स्कूलों ने हमारी सेवाएं ली हैं."


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