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Gujarat News: मनरेगा में तीन करोड़ रूपए से अधिक की धोखाधड़ी का हुआ पदार्फाश, चार लोगों पर केस दर्ज
Amreli MGNREGA: अमरेली में मनरेगा में सरकारी खजाने से 3.30 करोड़ रुपये की हेराफेरी करने का मामला सामने आया है. आरोपियों की पहचान शक्तिसिंह जडेजा, विमलसिंह, जिग्नेश वाडिया और अश्विन के रूप में हुई है.
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Amreli News: गुजरात के अमरेली जिले में मनरेगा विभाग में कार्यरत चार अधिकारियों पर सरकारी खजाने से 3.30 करोड़ रुपये की हेराफेरी करने का मामला दर्ज किया गया है. 2015-2019 से आरोपियों ने डुप्लीकेट जॉब कार्ड बनाए, जॉब कार्ड धारकों के नाम पर अन्य बैंकों में खाते खुलवाए, लाभार्थियों के फर्जी दस्तावेज बनाए, इन खातों में भुगतान किया और बाद में पैसे निकाल लिए. आरोपियों की पहचान सहायक कार्यक्रम अधिकारी शक्तिसिंह जडेजा, सहायक लेखा अधिकारी विमलसिंह बसन, एमआईएस समन्वयक जिग्नेश वाडिया और तकनीकी सहायक अश्विन शियाल के रूप में हुई है.
तालुका विकास अधिकारी ने शिकायत में कही ये बात
मंगलवार शाम को, तालुका विकास अधिकारी विजय सोनगरा ने अपनी शिकायत में कहा, "नियंत्रक महालेखा परीक्षक की दिसंबर 2021 की ऑडिट रिपोर्ट में उल्लेख किया गया था कि तीसरे पक्ष को 3 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया है." अमरेली ग्रामीण विकास एजेंसी के निदेशक ने ऑडिट रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए सितंबर 2022 में तालुका विकास अधिकारी को इसकी जांच करने का आदेश दिया. तीन महीने की जांच के बाद उन्होंने दिसंबर के पहले सप्ताह में निदेशक को एक रिपोर्ट सौंपी.
जांच में क्या पाया गया?
जांच में सोनगरा ने पाया कि 2015-16 से 2018-19 तक कुल 3,30,26,548 करोड़ रुपये का भुगतान 28,688 लेनदेन के माध्यम से तीसरे पक्ष को किया गया था, पैसा 3,310 खातों में 36 गांवों के 4900 जॉब कार्ड धारकों को स्थानांतरित किया गया. आरोपियों पर धोखाधड़ी, आपराधिक उल्लंघन, जालसाजी और सामान्य इरादे से साजिश रचने का मामला दर्ज किया गया है.
क्या है मनरेगा?
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 या मनरेगा, जिसे पहले राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम या नरेगा के रूप में जाना जाता था, एक भारतीय श्रम कानून और सामाजिक सुरक्षा उपाय है जिसका उद्देश्य 'काम के अधिकार' की गारंटी देना है. यह अधिनियम 23 अगस्त 2005 में ग्रामीण विकास मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह द्वारा संसद में बिल पेश करने के बाद प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार के तहत पारित किया गया था. इसका उद्देश्य प्रत्येक परिवार के कम से कम एक सदस्य को जिसके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक श्रम करने के लिए स्वेच्छा से काम करते हैं, को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों का वेतन रोजगार प्रदान करके ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना है.
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