Milk Price Hike: गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन ने अमूल दूध की कीमतों में इजाफा कर दिया है. अब कल से बाजारों में दूध दो रुपये प्रति लीटर महंगा बिकेगा. इसके साथ-साथ मदर डेयरी ने भी दूध की कीमतों में इजाफा किया है. बता दें, नई दरें कल यानी 17 अगस्त 2022 से लागू होंगीं. GCMMF ने एक बयान में कहा, “अमूल के ब्रांड नाम के तहत दूध और दूध उत्पादों के बाजारिया गुजरात सहकारी दूध विपणन संघ ने अहमदाबाद, गुजरात, सौराष्ट्र और अन्य राज्यों में दूध की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि करने का फैसला किया है. अमूल गोल्ड की कीमत 31 रुपये प्रति 500 ​​एमएल, अमूल ताजा 25 रुपये प्रति 500 ​​एमएल और अमूल शक्ति 28 रुपये प्रति 500 ​​एमएल होगी.


कल से क्या होगा नया रेट?
मदर डेयरी के लिए बुधवार से फुल क्रीम दूध की कीमत 59 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 61 रुपये प्रति लीटर हो जाएगी. टोंड दूध की कीमत बढ़कर 51 रुपये और डबल टोंड दूध की कीमत 45 रुपये प्रति लीटर हो जाएगी. गाय के दूध की कीमत 53 रुपये प्रति लीटर कर दी गई है. मदर डेयरी के थोक वेंडेड दूध (टोकन दूध) की कीमत 46 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 48 रुपये कर दी गई है. अधिकारी ने कहा कि कंपनी ने पिछले पांच महीनों में इनपुट लागत में वृद्धि देखी है. उदाहरण के लिए, कच्चे दूध की कृषि कीमतों में लगभग 10-11 फीसदी की वृद्धि हुई है. इसी तरह, गर्मी की लहर और विस्तारित गर्मी के मौसम के कारण फीड और चारे की लागत में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है.


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जीसीएमएमएफ ने कहा कि 2 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि एमआरपी में 4 फीसदी की वृद्धि में तब्दील हो जाती है जो औसत खाद्य मुद्रास्फीति से कम है. इसमें कहा गया है कि यह मूल्य वृद्धि "दूध के संचालन और उत्पादन की कुल लागत में वृद्धि के कारण की जा रही है. अकेले पशु आहार लागत पिछले साल की तुलना में लगभग 20 फीसदी तक बढ़ गई है. 


मदर डेयरी ने क्या कहा?
मदर डेयरी ने एक बयान में कहा, "कंपनी विभिन्न इनपुट लागतों में वृद्धि का अनुभव कर रही है जो पिछले पांच महीनों के दौरान कई गुना बढ़ गई है. उदाहरण के लिए, उक्त अवधि में अकेले कच्चे दूध की कृषि कीमतों में लगभग 10-11 फीसदी की वृद्धि हुई है. इसी तरह, देश में पहले देखी गई हीटवेव और विस्तारित गर्मी के मौसम के कारण उसी समय फीड और चारे की लागत में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. कृषि कीमतों में वृद्धि आंशिक रूप से उपभोक्ताओं को दी जा रही है, जिससे दोनों हितधारकों - उपभोक्ताओं और किसानों के हितों को सुरक्षित किया जा रहा है."


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