Bhuj Agricultural Produce Marketing Committee: भुज कृषि उत्पाद विपणन समिति कथित तौर पर जिला सहकारी रजिस्ट्रार को खाता दस्तावेज, समिति की बैठक के मिनट और संकल्प प्रस्तुत करने में विफल रही है. एपीएमसी को लिखे पत्र में रजिस्ट्रार ने कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए दस्तावेजों की मांग की थी. एक नागरिक धीरज गरवा ने सहकारी रजिस्ट्रार को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि एपीएमसी अध्यक्ष और बीजेपी नेता केशुभाई पटेल, बोर्ड के सदस्यों और सचिव ने मूंगफली के लिए बोली लगाने वाले अरविंद गौड़ को दो गोदाम बेचे हैं.
उनपर क्या है आरोप?
उनका आरोप है कि एपीएमसी ने गोदामों के लिए बोलियां आमंत्रित की थीं. तीन गोदामों की नीलामी हुई, एक-एक गोदाम 65 लाख रुपये में बिका. बोली लगाने वाले अरविंद गौड़ की बोली को एपीएमसी समिति ने खारिज कर दिया था इसलिए उन्होंने उच्च न्यायालय में बोली प्रक्रिया को चुनौती दी थी. धीरज ने आरोप लगाया है कि याचिका वापस लेने की शर्त पर बोर्ड ने गौड़ को दो गोदाम बेचे थे, जिसके लिए उन्होंने दोनों के लिए केवल 30 लाख रुपये का भुगतान किया और एपीएमसी को एक करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
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कई दिन बाद भी जमा नहीं किए दस्तावेज
इन आरोपों पर संज्ञान लेते हुए रजिस्ट्रार कार्यालय ने 27 जून को अध्यक्ष और एपीएमसी सचिव को सात दिनों के भीतर वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए दस्तावेज जमा करने के लिए लिखा था. रजिस्ट्रार कार्यालय के अधिकारी मोतीलाल परमार ने कहा कि 15 दिन से अधिक समय बीत चुका है लेकिन एपीएमसी ने दस्तावेज जमा नहीं किए हैं.
अपने बचाव में क्या बोले केशुभाई पटेल?
अपने बचाव में केशुभाई पटेल ने कहा, ये राजनीति से प्रेरित आरोप हैं. अगर व्यक्ति के पास कोई सबूत होता तो वह पत्र के साथ सबूत पेश करता, लेकिन उसने नहीं किया. मैंने या बोर्ड ने वित्तीय अनियमितताओं में शामिल नहीं किया है, और अध्यक्ष के रूप में मेरा कार्यकाल एक महीने पहले समाप्त हो गया. धीरज ने कहा, यह एक खुला झूठ है. अगर वह एपीएमसी से सेवानिवृत्त हुए हैं, तो वह अभी भी राजनीतिक गतिविधियों के लिए एपीएमसी वाहनों का उपयोग क्यों कर रहे हैं. धीरज ने कहा कि अगर पटेल जो दावा कर रहे हैं वह सच है तो यह सत्ता के दुरुपयोग का एक और मामला है.
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