Botad News: महिला को मंदिर में प्रवेश से रोकने का आरोप, एक गिरफ्तार, ग्रामीणों ने अनुसूचित जाति के सदस्यों का किया बहिष्कार
Botad: बोटाद में मंदिर में प्रवेश करने से रोकने के आरोप में अगड़ी जाति की एक महिला की गिरफ्तारी हुई. इसको लेकर अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय के निवासियों का सामाजिक बहिष्कार किया गया.
Botad Crime News: गुजरात के बोटाद जिले के एक गांव में दलितों को मंदिर में प्रवेश करने से रोकने के आरोप में अगड़ी जाति की एक महिला की गिरफ्तारी को लेकर अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय के निवासियों का सामाजिक बहिष्कार किया गया. हालांकि, पुलिस के प्रयासों के बाद इस मुद्दे को सुलझा लिया गया. यह बात सोमवार को एक अधिकारी ने कही. यह घटना 18 अगस्त की है, जब अनुसूचित जाति समुदाय की चार महिलाएं लिंबाडिया गांव के एक मंदिर में पूजा-अर्चना करने गईं थीं. हालांकि, उन्हें पाटीदार समुदाय की एक महिला ने रोक दिया और उनसे कहा कि दलितों को मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है.
जातिवादी टिप्पणी और मंदिर में प्रवेश से रोकने का आरोप
प्राथमिकी के अनुसार, उक्त महिला ने कथित तौर पर महिलाओं पर जातिवादी टिप्पणी की और उन्हें मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया. ढासा थाने के निरीक्षक बी. एम. पंडित ने बताया कि उसी दिन अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम अधिनियम) के तहत एक मामला दर्ज कर लिया गया और आरोपी महिला को गिरफ्तार कर लिया गया. उन्होंने बताया कि हिरासत की अवधि पूरी होने के बाद उसे जेल भेज दिया गया. स्थानीय नेता अमरू मकवाना ने दावा किया कि इस घटनाक्रम से नाखुश, लिंबाडिया के ग्रामीणों ने दुकानदारों और अन्य लोगों को दलितों का बहिष्कार करने का एक फरमान जारी किया.
मकवाना और उनके समुदाय के सदस्य पहुंचे थाना
मकवाना और उनके समुदाय के अन्य सदस्य सोमवार दोपहर में बैठक के लिए ढासा थाना पहुंचे. मकवाना ने पत्रकारों से कहा, ‘‘हमें ग्रामीणों द्वारा कोई काम भी नहीं दिया गया, जिसके कारण 25 दलित परिवारों को कहीं और जाना पड़ सकता है.’’ पंडित ने कहा कि मामला बढ़ने से पहले ही पुलिस गांव पहुंच गई और सभी समुदाय के नेताओं के साथ एक बैठक की, जिसके बाद दलितों ने मंदिर में प्रवेश किया और दुकानों से किराने का सामान भी खरीदा. पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘बैठक के दौरान सभी ने गतिरोध खत्म करने और शांति से रहने पर सहमति जताई. बहिष्कार के मुद्दे को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझा लिया गया है.’’
दलित नेता प्रवीण राठौड़ ने कही ये बात
दलित नेता प्रवीण राठौड़ ने कहा कि पुलिस और मीडिया के हस्तक्षेप के बाद उनके समुदाय के सदस्यों ने गांव में दुकानों से किराने का सामान खरीदा. उन्होंने कहा, ‘‘एक नाई ने एक दलित व्यक्ति के बाल भी काटे. हम मंदिर गए. मामले का समाधान हो गया है.’’
ये भी पढ़ें: