Gujarat Politics: गुजरात में कांग्रेस ने रख दी बीजेपी के सामने बड़ी मांगें, बढ़ सकती है सरकार की मुश्किल
Gujarat News: कांग्रेस आरोप लगा रही है कि चूंकि यह रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई है, इसलिए गुजरात में कई स्थानीय निकायों के चुनाव रोक दिए गए हैं.
Reservation In Gujarat: कांग्रेस ने मंगलवार को गुजरात में स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की मांग की और सरकार से न्यायमूर्ति झावेरी आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करने को कहा. विपक्षी दल कांग्रेस ने जाति-आधारित जनगणना की भी जोरदार वकालत की.
ये मांगें यहां सत्याग्रह छावनी मैदान में कांग्रेस विधायक दल के नेता अमित चावड़ा, प्रदेश इकाई के अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल, जगदीश ठाकोर और अन्य द्वारा “जन अधिकार समिति” के बैनर तले आयोजित धरने के दौरान की गईं.
चावड़ा ने कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा से जुड़े ओबीसी नेताओं को भी धरने में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन कोई नहीं आया. उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि “भाजपा नेता अपनी पार्टी आलाकमान के निर्देशों का पालन कर रहे हैं.’’
उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और ओबीसी समुदाय अपने अधिकारों के लिए एक महापंचायत का आयोजन करेंगे और “सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियों” का विरोध करेंगे.
चावड़ा ने कहा, “हमने सरकार में बैठे ओबीसी समाज के नेताओं को इस धरने में आने का निमंत्रण दिया था लेकिन कोई भी हमारे साथ नहीं आया. उन्होंने अपने समुदाय की उपेक्षा की और अपनी पार्टी के आदेश के अनुसार भाग न लेने का निर्णय लिया. यदि समुदाय ने आपको वोट देकर सत्ता में भेजा है, तो आपको आगे आना चाहिए और उनका समर्थन करना चाहिए.”
उन्होंने सरकार से जाति आधारित जनगणना कराने, न्यायमूर्ति झावेरी आयोग की रिपोर्ट प्रकाशित करने और सभी स्थानीय स्व-शाषी संस्थानों में ओबीसी समुदाय को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग की.
स्थानीय निकायों के चुनाव रोक दिए गए!
चावड़ा ने वार्षिक राज्य बजट में ओबीसी समुदाय के लिए 27 प्रतिशत आवंटन और सहकारी समितियों में एसटी, एससी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए आरक्षण लागू करने की भी मांग की.
झावेरी आयोग की यह रिपोर्ट इसी साल अप्रैल में सरकार को सौंपी गई थी.
कांग्रेस आरोप लगा रही है कि चूंकि यह रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई है, इसलिए गुजरात में कई स्थानीय निकायों के चुनाव रोक दिए गए हैं.
भाजपा सरकार ने स्थानीय निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ के बारे में आंकड़े एकत्र करने और उसका विश्लेषण करने के लिए, पिछले जुलाई में गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) के.एस. झावेरी की अध्यक्षता में आयोग की स्थापना की, जो राज्य में स्थानीय स्वशासन संस्थानों के चुनावों में ओबीसी कोटा तय करने के लिए आवश्यक अभ्यास है.