गुजरात के मोरबी में रविवार शाम एक झूला पुल के टूट जाने से 140 से अधिक लोगों की मौत हो गई. इस हादसे में 20 से अधिक लोग घायल भी हुए हैं. मोरबी में इससे पहले 1979 में भी इसी तरह का एक बड़ा हादसा हुआ था, जिसमें करीब एक हजार लोग मारे गए थे. मोरबी में 11 अगस्त 1979 को मच्छू नदी पर बना बांध भारी बारिश के बाद टूट गया था. उस समय केंद्र और राज्य में जनता पार्टी की सरकार थी. उस समय के मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री बाबूभाई पटेल ने करीब 6 महीने के लिए अपनी कैबिनेट मोरबी से ही चलाई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में थे. उन्होंने हादसे के बाद वहां राहत और बचाव के काम में हिस्सा लिया था.


कैसे टूटा था मच्छू नदी पर बना पुल


लगातार तीन दिन मूसलाधार बारिश होने से मच्छु नदी पर बना बांध ओवर फ्लो होकर 11 अगस्त 1979 की रात करीब तीन बजे टूट गया. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, उस हादसे में एक हजार लोग मारे गए थे. वहीं, गैर आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 25 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई थी. उस समय  तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूभाई पटेल ने करीब 6 महीने के लिए अपनी कैबिनेट मोरबी में शिफ्ट कर दी थी.गुजरात सरकार ने इसे एक्ट ऑफ गॉड करार दिया था. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक उस समय करीब 100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.


उस समय चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री थे. गुजरात में बाबूभाई पटेल के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार थी. इस त्रासदी के कुछ दिनों बाद 16 अगस्त को इंदिरा गांधी ने मोरबी का दौरा किया था. इंदिरा गांधी जब वहां पहुंची तो लाशों की दुर्गंध इतनी ज्यादा थी कि उनको नाक पर रुमाल रखना पड़ा था.


राहत और बचाव कार्य में शामिल हुए थे नरेंद्र मोदी  


राहत और बचाव के काम के लिए नरेंद्र मोदी गए थे. वो उस समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंडमिंटन स्टार पीवी संधू के साथ इस वाकिए को साझा किया था. मोदी ने बताया था, 11 अगस्त 1979 को तब वो स्वयंसेवक के तौर पर वहां गए और राहत कार्य में जुटे थे. 


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