Gujarat News: निचली अदालत का समन रद्द करने से इंकार, अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह ने किया हाई कोर्ट का रुख, जानें पूरा मामला
Defamation Case on AAP Leaders: जिला कोर्ट ने मानहानि मामले में AAP के दो शीर्ष नेताओं को समन रद्द करने से इंकार कर दिया. दोनों नेताओं की अंतरिम राहत की अर्जी को सुप्रीम कोर्ट भी अस्वीकार कर चुका है.
Gujarat High Court: आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह पर दर्ज मानहानि मामले में जारी समन को रद्द करने से निचली अदालत ने इनकार कर दिया, निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए आम आदमी पार्टी के दोनों नेताओं ने गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया है. दरअसल, ये पूरा मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक योग्यता पर टिप्पणी को लेकर अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह पर मानहानि का मामला दर्ज किया गया था, इसी मामले में निचली अदालन ने समन रद्द करने से इनकार कर दिया था.
आप नेताओं के वकील पर्सी कविना ने बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने निचली अदालत द्वारा उन्हें जारी समन के खिलाफ पुनरीक्षण अर्जी दाखिल की थी, जिसे 14 सितंबर को सत्र न्यायालय ने खारिज करने का आदेश जारी किया था. इसके बाद, दोनों नेताओं ने सत्र न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की. कविना ने बताया कि मामले पर निचली अदालत के 23 सितंबर को सुनवाई करने को ध्यान में रखते हुए, इसे तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए न्यायमूर्ति समीर दवे की अदालत में विषय को सूचीबद्ध किया गया. अदालत ने अनुरोध खारिज कर दिया और कहा कि कार्यालय को इसे शीघ्र सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया गया है.
क्या है मामला?
सत्र न्यायाधीश जे.एम. ब्रह्मभट्ट की एक अदालत ने पिछले गुरुवार (14 सितंबर) को अपने आदेश में आप नेताओं को निचली अदालत द्वारा जारी समन के फैसले को बरकरार रखा था. कोर्ट ने कहा था कि अदालत का फैसला न तो गैरकानूनी है और न ही गलत है. मेट्रोपॉलिटन अदालत ने प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री के संबंध में 'व्यंग्यात्मक' और 'अपमानजनक' बयान को लेकर गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा दायर मानहानि मामले में 15 अप्रैल को केजरीवाल और संजय सिंह को पहला समन जारी किया था. आप नेताओं ने समन को चुनौती देते हुए सत्र न्यायालय में पुनरीक्षण अर्जी दायर की थी.
आप नेताओं की याचिक सुप्रीम कोर्ट कर चुका है खारिज
अदालत ने सुनवाई पर अंतरिम रोक लगाने की उनकी याचिका को सात अगस्त को खारिज कर दिया था, जिसके बाद आप नेताओं ने गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया. हाई कोर्ट ने भी अंतरिम रोक लगाने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, यहां से भी उन्हें निराशा हाथ लगी क्योंकि शीर्ष अदालत ने उनकी याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया.