Gujarat: दिल्ली सरकार ने मोती नामक उस हाथी को गुजरात स्थानांतरित करने का फैसला किया है, जिसे लेकर काफी समय से चर्चा हो रही थी. दरअसल दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने 2017 में एक व्यक्ति से हाथी को उसकी देखभाल और रखरखाव के लिए तय मानकों का पालन न कर पाने का हवाला देते हुए ले लिया था. दिल्ली सरकार की तरफ से आज ही हाई कोर्ट को इस बात की जानकारी दी गई कि अब मोती नामक उस हाथी को गुजरात भेजा जाएगा.


न्यायमूर्ति नजमी वज़ीरी की पीठ के समक्ष दिल्ली सरकार के वकील ने कहा, “मुख्य वन्यजीव वार्डन ने सैद्धांतिक रूप से जानवर को स्थानांतरित करने का फैसला लिया है. इस प्रकिया के लिए संबंधित फाइल अब उपराज्यपाल के पास है. हम उम्मीद कर रहे हैं कि कुछ दिनों के भीतर औपचारिक आदेश प्राप्त हो जाएंगे.


क्या है पूरा मामला?


बता दें कि अदालत ने दिसंबर में हाथी मोती के स्वामित्व का दावा करने के दिल्ली सरकार के फैसले पर सवाल उठाया था और उसे इस मामले में नए सिरे से विचार करने को कहा था. सितंबर 2021 में अदालत ने हाथी के मूल मालिक के बेटे फारुख खान द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को गुजरात के जामनगर में राधा कृष्ण मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा प्रबंधित एक जगह में हाथी को छोड़ आने का आदेश दिया था.


अदालत के समक्ष मामले में, याचिकाकर्ता खान ने कहा था कि मोती जो इस वक्त हरियाणा के यमुना नगर में एक केंद्र में है, उसे बेहतर सुविधाओं के साथ किसी अन्य स्थान पर ले जाना चाहते हैं और इसे अन्य चार हाथी- गंगाराम, धोंमती, मत्ती और चांदनी के साथ फिर से मिलाना चाहते हैं. हालांकि मामले को लेकर न्यायमूर्ति नजमी वज़ीरी ने 24 दिसंबर को पारित आदेश में इस विवाद को "अपुष्ट" कहा. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को मोती को गुजरात ले जाने का निर्देश दिया गया था.


2017 में सरकार ने 6 हाथी मालिकों को भेजा था नोटिस


दिल्ली सरकार ने 2017 में छह हाथियों के मालिकों को नोटिस जारी किया था और उन्हें जानवरों को इस आधार पर आत्मसमर्पण करने के लिए कहा था कि उनके आवास के लिए उपलब्ध क्षेत्र अपेक्षित मानकों के अनुरूप नहीं है. बाद में कुछ हाथियों को गुजरात, राजस्थान और हरियाणा में स्थानांतरित कर दिया गया. अदालत ने 2017 में कहा था कि मुख्य वन्यजीव वार्डन को इन हाथियों के स्वामित्व पर निर्णय लेने से पहले इन हाथियों के मालिकों को सुनने का पर्याप्त अवसर देना होगा.


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