Janmashtami 2022: गुजरात में जन्माष्टमी की धूम, द्वारकाधीश मंदिर में उमड़ी भक्तों की भीड़, जानें- कब खोल सकते हैं व्रत?
Dwarkadhish Temple: गुजरात में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम है. गुजरात के प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर में भी इस वक्त जन्माष्टमी को लेकर भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है. सीएम पटेल ने जन्माष्टमी की शुभकामनाएं दी है.
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Janmashtami Celebration in Dwarkadhish Temple: हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. गुजरात में भी इसकी गजब की धूम देखने को मिल रही है. गुजरात के लोगों में कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर काफी उत्साह है. गुजरात के मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है. इस बीच गुजरात के द्वारकाधीश मंदिर में भी कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर लोगों में उत्साह है. इस मंदिर में हर साल कृष्ण जन्माष्टमी को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. द्वारकाधीश मंदिर में जन्माष्टमी का उत्सव जोरों पर है.
सीएम पटेल ने दी कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं
गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल ने भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को लेकर सभी देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं. सीएम पटेल ने ट्वीट कर लिखा, "भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव - जन्माष्टमी के पावन पर्व पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं. समाज में प्रेम, शांति, सामाजिक सद्भाव और भाईचारे की भावना को मजबूत करने के लिए यह त्योहार अत्यंत विश्वास और भक्ति के साथ मनाया जाता है."
भगवान कृष्ण का जन्म कहां हुआ था?
इस त्योहार को जन्माष्टमी, गोकुलाष्टमी, कृष्णष्टमी या श्रीजयंती के रूप में भी जाना जाता है. यह भाद्रपद के श्रावण मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है. बता दें, इस त्योहार का सबसे बड़ा उत्सव मथुरा और वृंदावन में होता है, जहां भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था. हिंदू शास्त्रों के अनुसार, देवकी और वासुदेव के पुत्र भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह (अगस्त-सितंबर) के आठवें दिन (अष्टमी) की आधी रात को मथुरा में हुआ था. उनका जन्म मथुरा के राक्षस राजा, कंस, भगवान कृष्ण की माता, देवकी के भाई को नष्ट करने के लिए हुआ था. अपने जन्म के बाद, वासुदेव - जो देवकी के साथ एक कालकोठरी में कैद थे - भगवान कृष्ण को एक टोकरी में यमुना नदी के पार गोकुल ले गए, जहां उनका पालन-पोषण माता-पिता नंदा और यशोदा ने किया.
जन्माष्टमी पर कब खोलें व्रत?
जन्माष्टमी पर भक्त उपवास रखते हैं. भगवान कृष्ण के भक्त आज 19 अगस्त को जन्माष्टमी के पावन अवसर पर उपवास रख रहे हैं. यदि आप व्रत रख रहे हैं, तो आपको 20 अगस्त को शुभ मुहूर्त पर - अष्टमी तिथि पूरी होने के बाद व्रत तोड़ना चाहिए. कुछ लोग रात में बाल गोपाल की पूजा कर व्रत का समापन भी करते हैं. आप किसी भी परंपरा का पालन कर सकते हैं. उपवास का समय - 19 अगस्त, रात 10:59 बजे के बाद है. व्रत पारण का समय - 20 अगस्त को सुबह 05:45 बजे के बाद है.
जन्माष्टमी और दही हांडी को धूमधाम से मनाने वाले स्थान
जन्माष्टमी और दही हांडी का उत्सव पूरे देश में बहुत भव्यता और धूमधाम से मनाया जाता है. यहां मंदिरों और शहरों की सूची दी गई है, जिसमें वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर, उडुपी में श्री कृष्ण मंदिर और केरल में गुरुवायुर मंदिर शामिल हैं, जहां आप बड़े पैमाने पर उत्सवों को देख और अनुभव कर सकते हैं. गुजरात के द्वारका स्थित द्वारकाधीश मंदिर में भी कृष्ण जन्माष्टमी का जश्न जोरों पर है.
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