Gujarat Earthquake: गुजरात के कच्छ में महसूस हुए भूकंप के झटके, रिक्टर स्केल पर 4.5 तीव्रता
Earthquake in Kachchh : भूकंप का केंद्र दुधई से 15 किमी दूर दर्ज किया गया. दुधई में पिछली रात 12:18 बजे 3.2 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया था.
Earthquake in Gujarat: शुक्रवार (एक सितंबर) को गुजरात (Gujarat) के कच्छ में भूकंप (Earthquake) के झटके महसूस किए गए, जिनकी रिक्टर स्केल पर तीव्रता 4.5 मापी गई है. बताया जा रहा है कि शुक्रवार रात 8 बजकर 45 मिनट पर कच्छ के दुधई में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. भूकंप का केंद्र दुधई (Dudhai) से 15 किमी दूर दर्ज किया गया. दुधई में पिछली रात 12:18 बजे 3.2 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया था.
भूकंप के झटके महसूस होने के बाद, लोगों में अफरातफरी मच गई. झटके महसूस होने पर लोग डर से घरों से बाहर निकल आये. मिली जानकारी के मुताबिक, इस आपदा से किसी भी प्रकार के जानी माली नुकसान की खबर नहीं है. गुजरात में इसी साल 26 फरवरी को भी भूकंप के तेज झटके महसूस किया गये थे, उस समय रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 4.3 मापी गई थी. इसका केंद्र गुजरात का राजकोट था. उस दौरान भी प्रदेश में लगातार भूकंप के झटके महसूस किये जा रहे थे.
हरियाणा में भी महसूस किये गये भूकंप के झटके
इससे पहले हरियाणा के झज्जर में भूकंप के झटकों ने लोगों भयभीत कर दिया. प्रदेश में भूकंप के ये झटके कई स्थानों पर दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर महसूस किये गये. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.3 रिक्टर मापा गया, जिसका केंद्र झज्जर जिला का सेरिया रहा. भूकंप की तीव्रता कम होने के कारण किसी भी तरह कोई जानी माली नुकसान नहीं हुई है. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबकि, 3.3 गति का भूकंप बेहद हल्का होता है. झज्जर और महेंद्रगढ़ जिला, देहरादून फॉल्टलाइन पर होने की वजह से गाहे बगाहे यहां पर भूकंप के झटके महसूस होते रहते हैं. शुक्रवार को आये भूकंप की तरंगे जमीन के 8 किलोमीटर अंदर से उठी थी.
भूकंप आने पर क्या करें?
भूकंप आने पर शांत रहना चाहिए, इस दौरान कोशिश करें सुरक्षित स्थान पर रहें. घर के अंदर होने पर किसी मजबूत फर्नीचर के नीचे छुप जायें. इस दौरान शीशे, खिकड़की, दरवाजे या दीवारों से दूर रहें, या ऐसी कोई चीज जो टूट कर गिर सकती है उससे दूर रहने की कोशिश करें. भूकंप आने पर मजबूत दरवाजे से बाहर निकलने की कोशिश करें. एनडीएमए के मुताबिक, भूकंप के दौरान सबसे ज्यादा चोटें तब लगती हैं, जब बचाव के लिए लोग किसी दूसरी जगह या बाहर निकलने की कोशिश करते हैं.