पूर्व IPS संजीव भट्ट को 20 साल की जेल, वकील को फंसाने का मामला
Sanjiv Bhatt News: संजीव भट्ट को इससे पहले बुधवार (27 मार्च) को कोर्ट ने दोषी करार दिया था. उन्हें 2015 में भारतीय पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था.
पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को 20 साल जेल की सजा सुनाई गई है. गुजरात की अदालत ने वकील को फंसाने के लिए ड्रग्स प्लांट करने के मामले में इस सजा का एलान किया. इससे पहले गुजरात के बनासकांठा जिले के पालनपुर शहर की एक सत्र अदालत ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट को 1996 के मामले में बुधवार (28 मार्च) को दोषी करार दिया.
आपराधिक मामले में संजीव भट्ट की यह दूसरी दोषसिद्धि है. उन्हें 2019 में जामनगर अदालत द्वारा हिरासत में मौत के मामले में दोषी पाया गया था. बुधवार को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश जे एन ठक्कर ने भट्ट को राजस्थान के एक वकील को झूठा फंसाने का दोषी ठहराया.
2015 में सेवा से बर्खास्त किए गए
संजीव भट्ट को 2015 में भारतीय पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था. उस समय वह बनासकांठा जिले के पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्यरत थे.जिला पुलिस ने राजस्थान के वकील सुमेरसिंह राजपुरोहित को 1996 में स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत गिरफ्तार किया था.
होटल से बरामद हुआ था मादक पदार्थ
जिला पुलिस ने यह दावा किया था कि उसने पालनपुर के एक होटल के उस कमरे से मादक पदार्थ जब्त किया था जहां वकील राजपुरोहित रह रहे थे. पूर्व पुलिस अधिकारी की पत्नी श्वेता ने इस फैसले को लेकर निराशा व्यक्त की. राजस्थान पुलिस ने हालांकि बाद में कहा कि राजपुरोहित को बनासकांठा पुलिस ने राजस्थान के पाली में स्थित एक विवादित संपत्ति को स्थानांतरित करने के वास्ते दबाव बनाने के लिए झूठा फंसाया था.
जांच के लिए हाई कोर्ट पहुंची थी पुलिस
पूर्व पुलिस निरीक्षक आई बी व्यास ने मामले की गहन जांच का अनुरोध करते हुए 1999 में गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया था. संजीव भट्ट को राज्य के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने सितंबर 2018 में एनडीपीएस अधिनियम के तहत मादक पदार्थ मामले में गिरफ्तार किया था और तब से वह पालनपुर उप-जेल में हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी याचिका
पिछले साल, पूर्व आईपीएस अधिकारी ने 28 साल पुराने मादक पदार्थ मामले में पक्षपात का आरोप लगाते हुए मुकदमे को किसी अन्य सत्र अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उन्होंने निचली अदालत की कार्यवाही की रिकॉर्डिंग के लिए निर्देश भी मांगे थे. सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि भट्ट की याचिका खारिज कर दी थी.
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