Congress in Gandhinagar: विपक्षी दल कांग्रेस ने रविवार को आरोप लगाया कि गुजरात के कम से कम 15 पूर्व मंत्री गांधीनगर में पिछले साल अक्टूबर से नाममात्र का किराया देकर पॉश सरकारी बंगलों में रह रहे हैं. वे लोग पूर्ववर्ती विजय रूपाणी सरकार के मंत्रिमंडल का हिस्सा थे. साथ ही, कांग्रेस ने कहा कि ये पूर्व मंत्री इन बंगलों में एक विशेष प्रावधान के तहत रह रहे हैं, जो पिछले अकादमिक सत्र की समाप्ति तक उन्हें वहां रहने की अनुमति देता है लेकिन उनमें से किसी के भी ऐसे बच्चे नहीं हैं जो स्कूल या कॉलेज जा रहे थे.


बीजेपी ने आरोपों को नकारा


वहीं, राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी ने कांग्रेस के दावे को खारिज करते हुए कहा कि ये बंगले राज्य सरकार के नियमों के मुताबिक आवंटित किये गये थे. कांग्रेस ने कहा कि ये पूर्व मंत्री अब महज विधायक हैं और सामान्य परिस्थितियों में उन्हें आवंटित एमएलए (विधायक) क्वार्टर में रहना चाहिए, ना कि रियायती दर पर पॉश बंगले में रहना चाहिए.


कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोशी ने संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया, ‘‘इन (पूर्व) मंत्रियों को 4,200 रुपये प्रति माह की ‘इकोनॉमी रेट’ पर बंगले आवंटित किये गये थे, जबकि किराये की बाजार दर 42,000 रुपये है. उन्हें ये बंगले जिस अकादमिक सत्र के लिए अक्टूबर में आवंटित किये गये थे उसकी अवधि समाप्त हो गई है. उनके बच्चों के अध्ययन जारी रखने के लिए एक विशेष प्रावधान किया गया.’’


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लगाए ये आरोप


उन्होंने दावा किया कि हैरानी की बात है कि इन पूर्व मंत्रियों के कोई बच्चे स्कूल या कॉलेज में नहीं पढ़ रहे हैं. दोशी ने आरोप लगाया, ‘‘यदि हम यह मान भी लें कि उनके बच्चे स्कूल/कॉलेज जा रहे हैं तो पिछला अकादमिक सत्र अब समाप्त हो गया है. इसके बावजूद भी वे इन बंगलों में रह रहे हैं.’’ दोशी के दावों को खारिज करते हुए पूर्व शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चूडासमा ने कहा कि आवंटन मौजूदा नियमों के मुताबिक किया गया. उल्लेखनीय है उन्हें भी ‘ए’ श्रेणी का एक बंगला एक अक्टूबर 2021 की तारीख वाले आदेश के जरिये आवंटित किया गया था.


आवंटित बंगले की जानकारी


चूडासमा ने कहा, ‘‘मैं ही एकमात्र व्यक्ति नहीं हूं जिसे बंगला आवंटित किया गया. कई अन्य पूर्व मंत्रियों को भी बंगले आवंटित किये गये. पूर्व मंत्रियों से जुड़े नियमों के तहत किराया निर्धारित किया गया. (कांग्रेस का) यह एक हास्यास्पद दावा है जो जवाब दिये जाने योग्य नहीं है.’’


दोशी ने आरोप लगाया, ‘‘पूर्व मंत्रियों, तत्कालीन उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल, गृह विभाग संभालने वाले प्रदीप सिंह जडेजा, ऊर्जा मंत्री रहे सौरभ पटेल सहित अन्य को ये बंगले आवंटित किये गये.’’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा, जिन अन्य पूर्व मंत्रियों को बंगले आवंटित किये गये उनमें गणपत सिंह वसावा, जयेश रडाडिया, ईश्वर परमार, पुरूषोत्तम सोलंकी, जयद्रथ सिंह परमार, ईश्वरसिंह पटेल, वसनभाई अहीर, वीभावरी दवे, रामलाल पाटकर, धर्मेंद्र सिंह जडेजा और कुंवरजी बवालिया भी शामिल हैं.


दोशी ने दावा किया, ‘‘सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि पूर्व मंत्री सरकारी खजाने के धन से पॉश बंगले में रहना जारी रखें, जबकि हजारों सरकारी कर्मचारी वर्षों से आवासीय क्वार्टर के आवंटन का इंतजार कर रहे हैं. साथ ही कुछ ‘फिक्स्ड-पे’ कर्मचारियों को अपने वेतन के बराबर (मकान का) किराया देना पड़ता है. ’’


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