Gujarat: कहा जाता है कि ज़्यादातर अपने राज्य में बोली जाने वाली भाषा यानि अपनी मातृभाषा में बोलने और लिखने में लोग ज्यादा कम्फ़र्टेबल होते हैं वहीं गुजरात में अपनी ही मातृभाषा को लेकर कुछ अप्रिय तथ्य सामने आए. गुजरात में सोमवार को इंटरनेशनल मातृभाषा दिवस मनाया गया लेकिन राज्य में गुजराती भाषा के शिक्षण की स्थिति काफी खराब देखी गई.


गुजराती भाषा विषय में नियमित छात्रों में से 14.5% छात्र फेल


2019 में, पिछली बार बोर्ड परीक्षा आयोजित की गई थी, गुजरात बोर्ड एसएससी परीक्षा में गुजराती भाषा विषय में नियमित छात्रों में से 14.5% छात्र फेल हो गए थे. छात्रों का इतना बड़ा हिस्सा 10 साल तक अपनी शिक्षा की भाषा में व्याकरणिक रूप से सही वाक्य भी नहीं लिख पाया.


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गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के पूर्व अध्यक्ष हसमुख हिंगु ने कहा, इस प्रदर्शन का एक मुख्य कारण कक्षा 1 से 8 के लिए नो डिटेंशन नीति है, जिसके कारण गुजराती में कमजोर नींव वाले छात्र उच्च कक्षाओं में पहुंच रहे हैं. अधिक परेशान करने वाली बात यह है कि 2020 तक, बहुविकल्पीय प्रश्नों को 50% वेटेज दिए जाने के बावजूद, कई छात्र गुजराती में 33% पास अंक भी प्राप्त नहीं कर सके. गुजराती में फेल होने वाले छात्रों का यह अनुपात 2015 और 2016 में 26% से घटकर 2019 में 14.5% हो गया है.


राज्य सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेने की जरूरत


स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष भास्कर पटेल ने कहा, "इसका एक बड़ा कारण यह है कि पिछले कुछ वर्षों से नई भर्तियों की अनुमति नहीं होने से अन्य विषयों में विशेषज्ञता वाले शिक्षक गुजराती भाषा पढ़ा रहे हैं. बहुत दोष है, क्योंकि छात्रों को उनकी क्षमता की परवाह किए बिना पदोन्नत किया जाता है राज्य सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेने की जरूरत है. उन्होंने कहा, "इस मोर्चे पर बहुत काम करने की जरूरत है, क्योंकि अंग्रेजी का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है और माता-पिता के बीच भी गुजराती को डाउनग्रेड किया जा रहा है.


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