Human Trafficking: किसी भी कीमत पर अमेरिका में जाकर रहने का ख्वाब अक्सर लोगों के लिए परेशानी का सबब बन जाता है. गुजरात के 18 अन्य लोगों के साथ भी ऐसा ही हुआ है. गांधीनगर और मेहसाणा के गांवों के 18 लोगों ने अवैध रूप से अमेरिका जाने के लिए इस्तांबुल का रास्ता चुना. जहां वो सभी माफिया के चंगुल में फंस गए. इसका खुलासा उन जांचकर्ताओं ने किया जो पिछले महीने तुर्की में दो पटेल परिवारों के छह लोगों के लापता होने की जांच कर रहे हैं.
विजिटर वीजा पर इस्तांबुल गए थे और तभी से लापता
जिन लोगों की जांचकर्ता तलाश कर रहे हैं उनमें गांधीनगर के कलोल तालुका के एक गांव के छह लोग हैं. इनमें दो जोड़ी पति और पत्नी हैं तो वहीं दो बच्चे शामिल हैं. ये सभी जनवरी में विजिटर वीजा पर इस्तांबुल गए थे और तभी से लापता हैं. गुजरात में एक सूत्र के मुताबिक, "वे तुर्की-मेक्सिको मार्ग से अवैध रूप से अमेरिका में प्रवास करने की कोशिश कर रहे थे. जांच के दौरान, हमने पाया कि 18 अन्य लोग भी उनके साथ थे. सभी पटेल समुदाय के थे, जो जनवरी में इसी तरह यात्रा करने के बाद गायब हो गए थे.''
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फिरौती के लिए आया फोन
उन्होंने आगे कहा,' एक परिवार को 5 लाख रुपये की फिरौती का फोन आया. हालांकि, तब से दोबारा कोई फोन नहीं आया है. यहाँ के एजेंट अन्य देशों के अधिकारियों और आपराधिक तत्वों से जुड़े हैं जो तस्करी की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाते हैं. तुर्की में मानव तस्करों के पास विभिन्न फ्लैट हैं जहां वे अवैध अप्रवासियों को रखते हैं.''
अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर राज्य में अवैध आव्रजन पर नकेल कस रहे हैं. उन्हें जानकारी मिली है कि जनवरी के दूसरे सप्ताह में अगवा किए गए छह लोगों के साथ-साथ 18 अन्य को इस्तांबुल में स्थानीय माफिया ने अगवा कर लिया.
दो परिवार अब तक नहीं लौटे
हाल ही में दो परिवारों के लापता होने के बाद उनके रिश्तेदारों ने पुलिस को बताया कि वे इस्तांबुल के एक होटल में पाए गए हैं और अगले 2-3 दिनों में अहमदाबाद लौट आएंगे. हालांकि, वो दोनों परिवार अब तक नहीं लौटे हैं और उनके बारे में कोई खबर भी नहीं है.
इस्तांबुल में भारतीय दूतावास को अपहृत व्यक्तियों के रिश्तेदारों से एक ईमेल प्राप्त हुआ, जिसमें दावा किया गया था कि मानव तस्कर रिश्तेदारों से फिरौती मांग रहे हैं. बता दें कि तुर्की आमतौर पर उन लोगों के लिए एक बीच का रास्ता है जो कानूनी अनुमति के बिना अमेरिका में प्रवेश करना चाहते हैं. एक बार जब वे तुर्की पहुंच जाते हैं, तो उन्हें भेज दिया जाता है.
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