Gujarat Riots: गुजरात 2002 दंगे मामले में हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, पूर्व डीजीपी आर बी श्रीकुमार को दी अंतरित जमानत
Gujarat Riots 2022: गुजरात दंगे मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर बी श्रीकुमार को 15 नवंबर तक के लिए अंतरिम जमानत दे दी. उन्हें इन आरोपों में गिरफ्तार किया गया था.
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Gujarat High Court: गुजरात उच्च न्यायालय ने बुधवार को राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर बी श्रीकुमार को 15 नवंबर तक के लिए अंतरिम जमानत दे दी. उन्हें वर्ष 2002 गुजरात सांप्रदायिक दंगों से जुड़े सबूतों से कथित तौर पर छेड़छाड़ करने के आरोप में तीस्ता सीतलवाड के साथ गिरफ्तार किया गया था. न्यायमूर्ति इलेश जे वोरा ने 10 हजार रुपये के निजी मुचलके पर श्रीकुमार को अंतरिम जमानत दी. वह अहमदाबाद अपराध शाखा द्वारा 25 जून को गिरफ्तार किए जाने के बाद से न्यायिक हिरासत में थे.
श्रीकुमार के वकील ने दिया ये तर्क
श्रीकुमार के वकील ने अदालत में तर्क दिया कि उनके मुवक्किल को उम्र और आरोप पत्र दाखिल होने के मद्देनजर राहत दी जा सकती है. उन्होंने उच्च न्यायालय को बताया कि आवेदक की मंशा संबंधित सुनवाई अदालत में नए सिरे से आवेदन देने की है. उल्लेखनीय है कि सबूतों से छेड़छाड़ करने के मामले में एक अन्य आरोपी तीस्ता सीतलवाड़ की नियमित जमानत अर्जी पर भी उच्च न्यायालय सुनवाई कर रहा है.
सीतलवाड़ की अर्जी पर सुनवाई?
सीतलवाड़ की अर्जी पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने सुनवाई अदालत को निर्देश दिया कि विशेष जांच टीम (एसआईटी) द्वारा 21 सितंबर को दाखिल आरोप पत्र से संबधित दस्तावेज सीतलवाड़ के वकील को मुहैया कराए और इसके साथ मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 नवंबर की तारीख तय कर दी.उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने सीतलवाड़ को दो सितंबर को अंतरिम जमानत दी थी. उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने श्रीकुमार को जेल से रिहा होने के एक हफ्ते के भीतर पासपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया. साथ ही उन्हें संबंधित अदालत में जमानत की अर्जी देने की आजादी दी.
एसआईटी ने इनके खिलाफ दाखिल किया है आरोप पत्र
गौरतलब है कि एसआईटी ने 21 सितंबर को सीतलवाड़, श्रीकुमार और भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. भट्ट इस समय बनासकांठा जिले के पालनपुर स्थित जेल में हिरासत में हुई मौत के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं. तीनों पर कई लोगों को फंसाने के लिए फर्जी सबूत के आधार पर कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करने का आरोप है.
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