Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात के चुनावी रण में इस बार ऐसा उम्मीदवार उतरा है, जिसे बीते 32 साल से कोई नहीं हरा सका है. वो चाहे निर्दलीय लड़ लें या किसी पार्टी से लड़ लें या पार्टी को बदल कर लड़ लें जीत उन्हीं की होती है. इस उम्मीदवार का नाम प्रभु बा मानेक है. प्रभु बा मानेक पुजारी परिवार से ताल्लुक रखते हैं. इस बार भी प्रभुवा माने जीत का बड़ा दावा थोक रहे हैं. इस बार आम आदमी पार्टी के मैदान में उतरने से मुकाबला टक्कर का हो सकता है.
1990 से नहीं हारे कभी चुनाव
कृष्ण की नगरी द्वारका का हर कोना कृष्णमय है. भक्ति रस में डूबी रहती है द्वारका, लेकिन चुनावी मौसम के बीच द्वारका के दिलों दिमाग में जो नाम बसा है वो है 'प्रभु बा मानेक'. बता दें, प्रभु बा मानेक बीते 32 सालों से द्वारका सीट पर विधानसभा चुनाव जीतते आये हैं. प्रभु बा मानेक बीजेपी की तरफ से द्वारका सीट से उम्मीदवार हैं. प्रभु बा मानेक ने पहली बार 1990 में चुनाव लड़ा था और तब से वो कभी भी चुनाव नहीं हारे. बीजेपी का द्वारका सीट पर पिछले दस सालों से कब्जा है और प्रभु बा मानेक का 32 सालों से. प्रभु बा मानेक पहले तीन चुनाव निर्दलीय के तौर पर जीते, फिर कांग्रेस में गए. फिर 2012 और 2017 का चुनाव बीजेपी के टिकट पर जीते. गुजरात में प्रभु बा मानेक स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं.
दोस्तों के कहने पर भरा था पर्चा
प्रभु बा मानेक के विधायक बनने की कहानी काफी दिलचस्प है. 1990 में उन्होंने पहली बार दोस्तों के कहने पर मस्ती-मस्ती में विधानसभा चुनाव का पर्चा भर दिया, लेकिन परिवार को ये मंजूर नहीं था. इस बीच द्वारका के गांव वालों का एक हुजूम मानेक के परिवार घर पहुंच गया और उनसे फरियाद की कि वो पर्चा वापस ना लें. ऐसे में परिवार वालों ने गांव वालों की बात मान ली और उन्होंने पर्चा भर दिया और वो पहली बार में ही जीतकर विधायक बन गए.
कितने मतदाता हैं यहां?
द्वारका में कुल मतदाताओं की संख्या दो लाख 61 हजार से अधिक है. जिनमें से एक लाख 36 हजार से अधिक पुरुष और एक लाख 25 हजार से अधिक महिला मतदता हैं. इसी विधानसभा में पांच ट्रांसजेंडर वोटर भी हैं. 2017 के चुनाव में प्रभु बा मानेक को 73 हजार 471 वोट मिले थे. इस बार ये मुकाबला काफी दिलचस्प हो सकता है, क्योंकि इस बार आम आदमी पार्टी भी मैदान में हैं.
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