Association of Democratic Reforms: एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और गुजरात इलेक्शन वॉच (जीईडब्ल्यू) के विश्लेषण के मुताबिक, 2004 के बाद से, कांग्रेस ने बीजेपी की तुलना में गुजरात में चुनाव लड़ने के लिए आपराधिक पृष्ठभूमि वाले अधिक उम्मीदवारों को नामित किया है. 2004 से गुजरात से या तो संसदीय या राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने वाले कुल 6,043 उम्मीदवारों का विश्लेषण किया गया है. इसी तरह, राज्य से 2004 के बाद संसद या राज्य विधानसभा में सीटों पर कब्जा करने वाले कुल 685 सांसदों/ विधायकों का भी विश्लेषण किया गया.


किसके खिलाफ सबसे अधिक मामले?
2004 से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले 684 उम्मीदवारों में से 162 (24 फीसदी) ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं, लेकिन कांग्रेस के लिए यह संख्या अधिक है, कांग्रेस के पास 659 में से 212 (32 फीसदी) आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार हैं. इसके अलावा, बसपा के 533 उम्मीदवारों में से 65 (12 फीसदी), आप के 59 उम्मीदवारों में से 7 (12 फीसदी) और 2,575 निर्दलीय उम्मीदवारों में से 291 (11 फीसदी) ने भी अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं.


राज्य में 2004 के बाद से हुए विभिन्न चुनावों में विजयी होने वाले उम्मीदवारों में, बीजेपी के टिकट पर चुने गए 442 सांसदों/विधायकों में से 102 (23 फीसदी) ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं, जबकि 226 सांसदों में से 80 (35 फीसदी) ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं. विज्ञप्ति में कहा गया है कि कांग्रेस के टिकट पर चुने गए विधायकों और पांच निर्दलीय सांसदों/विधायकों में से 3 (60 फीसदी) ने आपराधिक मामले घोषित किए हैं.


किसके पास कितनी संपत्ति?
राष्ट्रीय दलों में बीजेपी के 442 सांसदों/विधायकों की औसत संपत्ति 5.87 करोड़ रुपये है, जबकि कांग्रेस के 226 सांसदों/विधायकों की औसत घोषित संपत्ति 6.32 करोड़ रुपये है. दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी में आपराधिक मामलों वाले सांसदों/विधायकों की औसत संपत्ति 9.19 करोड़ रुपये थी, जबकि कांग्रेस की 8.79 करोड़ रुपये थी. हालांकि, आपराधिक पृष्ठभूमि वाले राकांपा सांसद/विधायक 19.97 करोड़ रुपये के साथ सबसे अमीर थे.


कितनी है महिला और पुरुष नेताओं की संख्या?
एडीआर-जीईडब्ल्यू की विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि विश्लेषण किए गए 6,043 उम्मीदवारों में से केवल 383 या 6 फीसदी महिलाएं हैं, जबकि 2004 से गुजरात में चुनाव लड़ने वाली 383 महिलाओं में से पांच फीसदी (21 उम्मीदवारों) ने आपराधिक मामले घोषित किए थे. दूसरी ओर, 17 फीसदी पुरुष उम्मीदवारों (951) ने आपराधिक मामले घोषित किए थे. पुरुष सांसदों/विधायकों की औसत संपत्ति 6.02 करोड़ रुपये है, जबकि उनकी महिला समकक्षों की औसत संपत्ति 5.62 करोड़ रुपये है.


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