(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Gujarat Election 2022: गुजरात चुनाव में इन अलग-अलग पार्टियों से चुनाव लड़ रहे पाटीदार आंदोलन के नेता, इस सीट से मिला है टिकट
Gujarat Election: गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कई पार्टियों ने पाटीदार आंदोलन के नेताओं को टिकट देकर चुनावी मैदान में खड़ा किया है. जानिए किस पार्टी ने किसे और कहां से टिकट दिया है.
Gujarat Assembly Election 2022: 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में, पाटीदार आरक्षण आंदोलन प्रमुख चुनावी मुद्दों में से एक था, लेकिन 5 साल बाद, जैसा कि यह आंदोलन दिखाई दे रहा था, निष्क्रिय हो गया. पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (PAAS) के लगभग सभी प्रमुख चेहरे अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए अपने आंदोलन के उद्देश्य को छोड़कर राजनीति में शामिल हो गए. चुनाव पर आंदोलन के नेताओं के प्रभाव को समझते हुए, बीजेपी, कांग्रेस और आप, सभी राजनीतिक दलों ने पाटीदार कार्यकर्ताओं को अपने पाले में लाने की कोशिश की है.
बीजेपी के साथ हैं हार्दिक पटेल
गुजरात में तत्कालीन आनंदीबेन सरकार के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन खड़ा करने वाले आंदोलन के पोस्टर बॉय हार्दिक पटेल ने पहले कांग्रेस से हाथ आजमाया और बाद पार्टी को छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया. गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी की टिकट पर हार्दिक पटेल अपना राजनीतिक भाग्य आजमा रहे हैं. पटेल 2020 में कांग्रेस में शामिल हुए और राज्य इकाई के प्रमुख बने. गुजरात में पार्टी में एक शीर्ष पद पर रहने के बावजूद, वह पुरानी पार्टी में लंबी पारी खेलने में असफल रहे. विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक पहले, उन्होंने कांग्रेस छोड़ दिया और अब वे विरमगाम विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
चुनावी मैदान में कौन-कौन हैं?
आंदोलन के अन्य दो बड़े नाम- अल्पेश कथीरिया और धार्मिक मालवीय भी राजनीति में शामिल हुए. दोनों ने पिछले महीने आम आदमी पार्टी (आप) को चुना था. मीडिया से बात करते हुए, धर्मिक मालवीय ने कहा कि वह पीएएएस को बंद करने का विकल्प तलाश रहे हैं. रेशमा पटेल, चिराग पटेल और वरुण पटेल, जो संगठन छोड़कर किसी राजनीतिक दल में शामिल होने वाले पहले व्यक्ति थे, 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी में शामिल हो गए थे.
हालांकि, रेशमा पटेल ने बाद में बीजेपी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गईं. लेकिन कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने आप का दामन थाम लिया. रेशमा हार्दिक की करीबी सहयोगी और आंदोलन की एक महिला चेहरा रही हैं.
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