Gujarat Election 2022: हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों का ऐलान हो चुका है, अब जल्द ही गुजरात की घोषणा भी होने वाली है. ऐसे में गुजरात में 27 साल से सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी के पास अपना किला बचाने की बड़ी चुनौती है. सूत्रों की मानें तो एक बार फिर गुजरात में बीजेपी की नैया पार लगाने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने उठा ली है.


चुनाव आयोग ने शुक्रवार को जैसे ही हिमाचल प्रदेश के चुनाव का ऐलान किया उसके कुछ घंटे बाद ही प्रधानमंत्री आवास पर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक बड़ी बैठक हुई. गौर करने वाली बात ये है कि इस बैठक में हिमाचल नहीं, बल्कि गुजरात बीजेपी के बड़े नेता मौजूद थे. जानकारी के मुताबिक इस बैठक में प्रधानमंत्री के अलावा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और गुजरात प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल भी मौजूद थे.


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सूत्रों के मुताबिक आनन फानन में बुलाई गई ये बैठक गुजरात चुनाव से जुड़ी हुई थी. जानकारी के अनुसार 5 घंटे लंबी चली इस बैठक में गुजरात के सिंघासन को बचाने के लिए रणनीति तैयार की गई है. माना जा रहा है कि बीजेपी इस बार भी गुजरात चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को सामने रखकर ही लड़ेगी. वहीं गृहमंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा के साथ मिलकर पूरी रूपरेखा तैयार करने में जुटे हैं. खबर है कि 5 घंटे की मैराथन बैठक में गुजरात की रणनीति तय कर ली गई है. इसमें कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान दिया जा रहा है.


आचार संहिता लागू होने से पहले मोदी-शाह देंगे कई सौगात


गुजरात चुनाव को लेकर संभावना जताई जा रही है कि दीपावली के बाद चुनाव आयोग इसकी घोषणा कर सकता है. ऐसे में बचे हुए 10-12 दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह प्रदेश को कई बड़ी सौगातें दे सकते हैं. अभी 18 अक्टूबर से 22 अक्टूबर तक गुजरात में डिफेंस एक्सपो गांधीनगर में आयोजित होने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 19 अक्टूबर को इसका उद्घाटन करेंगे. इस एक्सपो में सरकार को 1.25 लाख करोड रुपये से ऊपर के निवेश के लिए 400 से अधिक सहमतिपत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है. इसके अलावा गुजरात में दीपावली के आसपास कई योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण भी किया जाएगा.


कर्मचारियों और किसानों की नाराजगी दूर करना प्राथमिकता


गुजरात मे पिछले दिनों कई सरकारी कर्मचारी और किसान संगठन अपने मुद्दों को लेकर सरकार से नाराज चल रहे हैं. हाल ही में विरोध प्रदर्शन करने वालों में शिक्षक, क्लास-4 के सरकारी कर्मचारी, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, किसान, वन रक्षक और अन्य संगठन शामिल थे. ये ग्रेड पे बढाने और पुरानी पेंशन योजना को लागू करने सहित अन्य मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. इनमें से कुछ को शांत करने में भूपेंद्र पटेल सरकार कामयाब रही है, लेकिन कुछ संगठनों में नाराजगी अभी भी देखी जा रही है. यही वजह है इसके जल्द निपटारे के लिए प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री को निर्देश दिए हैं.


AAP के वादों और कांग्रेस के खामोश प्रचार से निपटना


गुजरात विधानसभा चुनाव इस बार त्रिकोणीय होने की संभावना है. बीजेपी-कांग्रेस के अलावा इस बार आम आदमी पार्टी भी जोरशोर से गुजरात में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में लगी हुई है. अरविंद केजरीवाल पानी, बिजली फ्री देने के साथ साथ कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल करने के लोकलुभावन वादे भी कर रहे हैं. ऐसे में गुजरात की जनता इन वादों के झांसे में ना आए इसके लिए बीजेपी ने केंद्रीय और राज्य स्तर के नेताओं को जनता के बीच जाकर सरकार के विकास कार्यों को गिनाने का जिम्मा सौंपा है. गुजरात गौरव यात्रा इसी की एक शुरूआत है.


वहीं कांग्रेस की खामोशी भी बीजेपी के लिए चिंता का विषय बनी हुई है. पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रैली के दौरान अपने कार्यकर्ताओं को कांग्रेस के खामोश प्रचार से सतर्क रहने की सलाह भी दी थी. उन्होंने कहा था कि कांग्रेस गांव गांव जाकर बैठक कर रही है. वो खबरों में नहीं दिख रहे और भाषण नहीं कर रहे इससे भ्रमित ना हों. इससे निपटने के लिए बीजेपी ने अपने कार्यकर्ताओं को मतदाताओं से संपर्क करने और घर-घर जाकर प्रचार करने की बात कही है. पार्टी सूत्रों की मानें तो जल्द ही अमित शाह इसको लेकर गुजरात के बड़े नेताओं के साथ एक बैठक भी करने वाले हैं.


सूत्र ये भी बता रहे हैं कि गुजरात की 40-50 सीटें ऐसी हैं, जहां पार्टी खुद के सर्वे में कमजोर नजर आ रही है. इन सीटों को अपने पाले में लाने के लिए भी रणनीति तैयार की जा रही है. यहां पर पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की ज्यादा रैलियां करवाने की तैयारी कर रही है. वहीं पार्टी आदिवासी सीटों पर भी अपनी पकड़ मजबूत करने में लगी है. प्रदेश में आदिवासियों के लिए 27 सीटें रिजर्व हैं. साल 2017 में पार्टी सिर्फ 9 सीटें जीत पाई थी. दो सीटें भारतीय ट्राइबल पार्टी को मिली थीं, बाकी की सभी सीटें कांग्रेस के खाते में गई थी.


जानकर मानते हैं कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल बहुत ज्यादा जनाधार वाले नेता नहीं है. ऐसे में पार्टी ने तय किया है कि इस चुनाव में भी वो प्रधानमंत्री के चेहरे और अमित शाह की रणनीति के बलबूते ही जनता के बीच जाएगी. गौरतलब है कि गुजरात में विधानसभा की कुल 182 सीटें है. जिसमें से बहुमत के लिए 92 सीटों पर जीतना किसी भी पार्टी के लिए बहुत जरूरी है. 2017 चुनाव में बीजेपी को 99 सीट मिली थी, वहीं कांग्रेस को 77 सीट पर जीत हासिल हुई थी.