Gujarat Assembly Monsoon Session: गुजरात विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन कांग्रेस की तरफ से राज्य में 'जाति-आधारित गणना' की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पेश किया. कांग्रेस ने कहा इससे वंचित जातियों की पहचान से नीति बनाने और संसाधनों के विवेकपूर्ण आवंटन में मदद मिलेगी. हालांकि बीजेपी सरकार की तरफ से प्रस्ताव खारिज कर दिया गया.


सत्तारूढ़ दल ने दावा किया कि पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने जाति जनगणना के विचार को खारिज कर दिया था और कहा था कि इससे समाज में भेदभाव पैदा होगा.


कांग्रेस विधायक दल के नेता अमित चावड़ा द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य विधानमंडल और संसदीय कार्य मंत्री रुशिकेश पटेल ने प्रतिक्रिया दी. उन्हें इसे सत्ता हासिल करने के लिए कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा सक्रिय किया गया टूलकिट करार दिया. रुशिकेश पटेल ने प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा कि जाति जनगणना कराना केंद्र सरकार के दायरे में आता है, राज्य के नहीं.


प्रस्ताव पेश करते हुए क्या बोले अमित चावड़ा? 
कांग्रेस नेता अमित चावड़ा ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि गुजरात में सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए जाति-जनगणना आवश्यक है. राज्य में सामाजिक-आर्थिक असमानता और जाति-आधारित भेदभाव दिन-ब-दिन बढ़ रहा है, जो हम सभी के लिए चिंता का विषय है. विकास का अधिकतम लाभ कुछ खास वर्गों या क्षेत्रों को मिल रहा है.


उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरियों, उद्योगों, शैक्षणिक संस्थानों और संसाधनों के आवंटन में असमानता स्पष्ट है. राज्य के लोगों के बीच आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक असमानता को दूर करने के लिए, जातियों के बीच सामाजिक असमानता की पहचान करना आवश्यक है. उन्होंने कहा, वंचित जातियों या समूहों की पहचान से राज्य की नीति तैयार करने, संसाधनों के विवेकपूर्ण आवंटन और योजना बनाने में मदद मिलेगी.


अमित चावड़ा ने कहा कि राज्य में जाति आधारित जनगणना के बिना संसाधनों का न्यायिक और न्यायसंगत वितरण संभव नहीं है. उन्होंने कहा राज्य में किसी विशेष जाति या समूह की जनसंख्या की वर्तमान सामाजिक-शैक्षणिक स्थिति के बारे में पहचान करना आवश्यक है. आरक्षण नीति ने इन जातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में कितना सकारात्मक या नकारात्मक परिवर्तन आया है उसकी पहचान करना आवश्यक है. उन्होंने दावा किया कि जाति जनगणना राज्य की मौजूदा नीतियों और योजनाओं के कार्यान्वयन पर सटीक जानकारी प्रदान करेगी.


1951 से 2011 तक स्वतंत्र भारत की प्रत्येक जनगणना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आंकड़ों की गणना की गई. लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग और अन्य जातियों के आंकड़े एकत्र नहीं किए गए. उन्होंने कहा कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में परिवारों की आर्थिक स्थिति के आंकड़े प्राप्त करना और पिछड़ेपन के संकेतकों की पहचान करना भी आवश्यक है. 


मंत्री रुशिकेश पटेल ने प्रस्ताव को किया खारिज
अमित चावड़ा द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को लेकर मंत्री रुशिकेश पटेल ने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में थी तो आपने कभी जाति-आधारित जनगणना कराने के बारे में क्यों नहीं सोचा. अतीत में जवाहरलाल नेहरू ने भी इस विचार को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह देश को विभाजित करेगा.


चावड़ा ने कहा कि यह एक टूलकिट है जो कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं द्वारा किसी भी तरह से सत्ता हासिल करने के लिए सक्रिय किया गया है. कांग्रेस ने फूट डालो और राज करो की नीति अपनाई है. वे इस मुद्दे को उठाकर गलत कहानी गढ रहे हैं. पटेल ने कहा कांग्रेस ने केवल गरीबी हटाने के लिए नारे दिए, जबकि पीएम नरेंद्र मोदी ने वास्तव में सभी के लिए काम किया और उन्हें समान अधिकार दिए.


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