Bilkis Bano Case: गुजरात चुनाव से पहले गरमाया बिलकिस बानो का मुद्दा, क्या इससे कांग्रेस को होगा फायदा?
Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात में एक दिसंबर और पांच दिसंबर को दो चरणों में मतदान होगा. चुनाव से गुजरात में बिलकिस बानो का मुद्दा फिर से गरमाने लगा है. जानिए क्या इससे कांग्रेस को फायदा होगा.
Bilkis Bano: बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले के 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई गुजरात में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक और चुनावी मुद्दा बनी हुई है, लेकिन अपने चुनावी घोषणापत्र में इस मुद्दे का जिक्र करने एवं पीड़िता को न्याय दिलाने का वादा करने वाली विपक्षी कांग्रेस को इससे लाभ होगा या नहीं, इसे लेकर लोगों की राय बंटी हुई है.
क्या कहते हैं लोग?
पर्यवेक्षकों एवं कार्यकर्ताओं के एक समूह को लगता है कि 20 साल पुराने इस मामले से जुड़ा यह ताजा घटनाक्रम विपक्षी दल को वोट जुटाने में मदद करेगा, लेकिन अन्य लोगों का मानना है कि इसका चुनाव में कोई असर नहीं दिखेगा. विधानसभा चुनाव के लिए एक दिसंबर और पांच दिसंबर को मतदान होना है.
कांग्रेस ने कुछ दिन पहले अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी किया था, जिसमें उसने कहा था कि वह राज्य सरकार द्वारा 2002 के बिलकीस बानो मामले में 11 दोषियों को समय से पहले जेल से रिहा करने की छूट को रद्द कर देगी. इन लोगों को 2008 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. उन्हें 15 अगस्त को गोधरा उप-जेल से रिहा कर दिया गया था. गुजरात में 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव दो चरणों में एक और पांच दिसंबर को होगा तथा मतगणना आठ दिसंबर को होगी. राज्य में वर्तमान में बीजेपी सत्ता में है.
कहां की रहने वालीं हैं बिलकिस?
बिलकिस बानो दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव की रहने वाली है, जो लिमखेड़ा विधानसभा सीट के अंतर्गत आता है. यह सीट इस समय बीजेपी के पास है. दोषियों को दी गई राहत का विरोध करने वाले कार्यकर्ता कलीम सिद्दीकी ने कहा कि इस मुद्दे पर कांग्रेस के रुख ने मुसलमानों के वोट को अपने पक्ष में कर लिया है और उन्हें आम आदमी पार्टी (आप) एवं लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) का रुख करने से रोक लिया है.
क्या कहते हैं जिग्नेश मेवाणी?
कांग्रेस की गुजरात इकाई के कार्यवाहक अध्यक्ष जिग्नेश मेवाणी का मानना है कि हालांकि अल्पसंख्यकों को आश्वस्त करने के लिए पार्टी का यह रुख आवश्यक था, लेकिन इसके कारण मतों में इजाफा नहीं होगा, क्योंकि इस मुद्दे को राजनीतिक या चुनावी लाभ लेने के लिए नहीं उठाया गया था. सिद्दीकी का कहना है कि रिहाई के इस मुद्दे का असर पंचमहल और दाहोद जिलों में अधिक महसूस किया जाएगा, जहां मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है. बहरहाल, लिमखेड़ा में रहने वाले लोगों का दावा है कि मीडिया में जो दिखाया जा रहा है, जमीनी स्थिति उससे बिल्कुल अलग है.
लिमखेड़ा तालुका के निवासी कल्पेश पंचाल ने कहा, ‘‘बिलकिस बानो मामला चुनाव में कोई मुद्दा नहीं है. कोई इसके बारे में बात भी नहीं करता क्योंकि यह हम सभी के लिए एक अतीत है. हिंदू और मुस्लिम दोनों रंधिकपुर के पड़ोसी सिंगवाड़ गांव समेत पूरे क्षेत्र में शांति से रह रहे हैं.’’
एआईएमआईएम की गुजरात इकाई के प्रवक्ता दानिश कुरैशी ने कहा, ‘‘यह कांग्रेस ही थी, जिसने बिलकिस बानो और गोधरा के बाद हुए दंगों के अन्य मामलों को उठाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कद बढ़ाया है. मैं इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने के बजाय यह जानना चाहता हूं कि क्या राहुल गांधी कभी इस मुद्दे को संसद में उठाएंगे? क्या वे केवल यात्रा निकाल कर न्याय सुनिश्चित कर सकते हैं?’’
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