Gujarat Politics: गुजरात में प्रधानमंत्री की चुनावी रैलियों पर होने वाले खर्च को पार्टी के खर्च में जोड़ा जाए: बीजेपी
Gujarat BJP: गुजरात में इस साल के अंत तक विधानसभा का चुनाव होना है. इसको लेकर बीजेपी ने मांग की है कि प्रधानमंत्री की चुनावी रैलियों पर होने वाले खर्च को पार्टी के खर्च में जोड़ा जाए.
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Gujarat Election: बीजेपी ने सोमवार को राज्य की दो दिवसीय यात्रा शुरू करने वाले मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार के साथ हुईं बैठकों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनाव रैलियों पर होने वाले खर्च को पार्टी के खर्च में जोड़ने की मांग की जबकि कांग्रेस ने चुनाव प्रक्रिया में और पारदर्शिता लाने का अनुरोध किया. गुजरात के संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी अशोक पटेल ने कहा कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों की समीक्षा करने व राजनीतिक प्रतिनिधियों से मिलने के लिए गुजरात के दो दिवसीय दौरे पर है.
गुजरात बीजेपी की मांग
गांधीनगर में सीईसी से मिलने वाले पार्टी के प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहे गुजरात बीजेपी के उपाध्यक्ष गोरधन जदाफिया ने कहा कि सीईसी के साथ बैठक के दौरान सत्तारूढ़ बीजेपी ने मतदान का समय बढ़ाने की मांग की. जदाफिया ने संवाददाताओं से कहा, “हमने मांग की कि सीईसी श्रम आयुक्त या किसी अन्य सक्षम प्राधिकारी को मतदान के दिन कारखाने के श्रमिकों के लिए आधे दिन की छुट्टी घोषित करने का निर्देश दें ताकि ये कर्मचारी अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकें. इससे मतदान में भी वृद्धि होगी.” गुजरात में इस साल दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं.
क्या बोले परिन्दु भगत?
प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहे बीजेपी के एक और नेता परिन्दु भगत ने कहा कि बीजेपी ने यह मांग भी की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रैलियों पर होने वाले खर्च को उम्मीदवारों के बजाय पार्टी के खर्च में जोड़ा जाना चाहिए. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दीपक बाबरिया के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछली कुछ घटनाओं का हवाला देते हुए सीईसी से चुनाव प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता लाने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि किसी विशेष क्षेत्र में मतदाताओं के किसी विशेष पार्टी की ओर झुकाव को ध्यान में रखते हुए मतदान केंद्र आवंटित नहीं किए जाएं.
उन्होंने कहा कि कुछ घटनाओं में एक पूरी आवासीय सोसाइटी के मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से गायब थे. बाबरिया ने कहा, “इसके अलावा, अगर किसी क्षेत्र के मतदाता किसी विशेष पार्टी के प्रति झुकाव रखते मिले तो उनके लिए मतदान केंद्र दो से तीन किलोमीटर दूर आवंटित किए गए. हमने चुनाव आयोग से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि ऐसी चीजें दोबारा न हों.”
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