Gujarat Civil Court Verdict: गुजरात की एक कोर्ट का उत्तराधिकार मामले को लेकर एक अहम फैसला सामने आया है जिसके मुताबिक मुस्लिम मां की संपत्ति पर हिंदू बेटियों का अधिकार न होने की बात कही गई है. दरअसल तीन बहनों ने मिलकर अपनी मां के खिलाफ मुकदमा दायर किया था जिसमे उन्होंने मां की मौत के बाद उनकी रिटायरमेंट का लाभ उन्हें दिए जाने की मांग की थी. लेकिन उनकी मां ने इस्लाम धर्म अपना लिया था और बेटियां हिंदू धर्म से संबंध रखती थीं तो अदालत ने अपने फैसले में कहा कि मुस्लिम विरासत कानूनों के मुताबिक हिंदू बच्चे मां की संपत्ति के वारिस नहीं हो सकते. 


दरअसल रंजन त्रिपाठी की तीन बेटियां थी, हालांकि तीसरी बेटी के गर्भ में होने के दौरान ही उनके पति का निधन हो गया था. रंजन के पति भारत संचार निगम लिमिटेड में काम करते थे और उनकी मौत के बाद रंजन को अपने पति की जगह बीएसएनएल में क्लर्क की नौकरी मिल गई. तीसरी बेटी के जन्म के बाद रंजन ने अपनी तीनों बेटियों को उनके पैतृक परिवार के पास छोड़ दिया और खुद एक मुस्लिम शख्स के साथ रहने लगीं. 


विरासत के लिए बेटियों ने किया केस दर्ज
साल 1990 में तीनों बेटियों ने अपनी मां पर परित्याग के आधार पर मेंटेनेंस का केस दर्ज कर दिया. इस केस में बेटियों को जीत भी मिली थी. इसके बाद साल 1995 में रंजन ने इस्लाम धर्म अपनाकर मुस्लिम शख्स से शादी कर ली. मुस्लिम व्यक्ति से शादी के बाद रंजन ने आधिकारिक रुप से अपना नाम बदलकर रेहाना मालेक कर लिया. शादी के बाद रंजन उर्फ रेहाना ने एक बेटे को जन्म दिया और सर्विस रिकॉर्ड में अपने बेटे को ही अपना नॉमिनी बनाया जिसके मुताबिक उनकी मौत के बाद उनकी भविष्य निधि, ग्रेच्युटी, बीमा, अवकाश नकदीकरण और अन्य लाभों पर उनके बेटे का हक होगा.


जब 2009 रंजन उर्फ रेहाना का निधन हुआ तो उनकी तीनों बेटियों ने अपनी मां की भविष्य निधि, ग्रेच्युटी और अन्य लाभों पर अपना अधिकार होने का दावा किया और सिविल कोर्ट में एक मुकदमा दायर कर दिया. लेकिन अदालत ने यह कहते हुए उनके दावे को खारिज कर दिया कि अगर मृतक मां मुस्लिम थी, तो उसके वर्ग 1 के उत्तराधिकारी हिंदू नहीं हो सकते.


सिविल कोर्ट ने दिया हाईकोर्ट के फैसले का हवाला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस संबंध में सिविल कोर्ट ने नयना फिरोजखान पठान उर्फ नसीम फिरोजखान पठान मामले पर गुजरात हाई कोर्ट के दिए गए फैसले का हवाला दिया. दरअसल इस मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि सभी मुसलमान मोहम्मदन कानून का पालन करते हैं, भले ही वे इस्लाम में परिवर्तित हो गए हों. हाईकोर्ट ने ये भी कहा था कि हिंदू विरासत कानूनों के मुताबिक भी बेटियां अपनी मुस्लिम मां की संपत्ति पर कोई हक नहीं रखती हैं.


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