Garba Pass GST: गुजरात में विपक्षी दल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने प्रमुख शहरों में वाणिज्यिक ‘गरबा’ कार्यक्रमों के प्रवेश पास पर लगाए गए 18 फीसदी वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) को वापस लेने की मांग की है. नौ दिवसीय नवरात्र उत्सव के हिस्से के रूप में गुजरात के प्रमुख शहरों में वाणिज्यिक ‘गरबा’ कार्यक्रमों का आयोजन होता है. जहां इन दोनों दलों के कार्यकर्ता इस मुद्दे को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं गुजरात के शिक्षा मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता जीतू वघानी ने पलटवार करते हुए कहा कि वाणिज्यिक ‘गरबा’ कार्यक्रमों सहित किसी भी सांस्कृतिक कार्यक्रम के प्रवेश पास पर जीएसटी वर्ष 2017 से लागू है. वघानी ने कहा कि प्रत्येक राज्य, कांग्रेस द्वारा शासित राज्यों सहित, ने इसे मंजूरी दी थी.


ये मुद्दा कब आया सामने
प्रवेश पास पर जीएसटी का मुद्दा तब सामने आया जब वडोदरा स्थित एक गैर सरकारी संगठन ‘यूनाइटेड वे ऑफ बड़ौदा’’ ने हाल ही में अपनी वेबसाइट पर लागू जीएसटी दरों का उल्लेख किया. वेबसाइट के अनुसार पुरुषों के लिए नौ दिन के पास की कीमत 4,838 रुपये होगी, जिसमें 4,100 रुपये प्रवेश शुल्क और 738 रुपये के बराबर का 18 फीसदी जीएसटी शामिल है, जबकि महिलाओं के लिए पास की कीमत 1,298 रुपये होगी, जिसमें 1,100 रुपये प्रवेश शुल्क और 198 रुपये के बराबर 18 फीसदी शामिल है.


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कांग्रेस और आप ने किया प्रदर्शन
कांग्रेस और आप ने मंगलवार और बुधवार को वडोदरा, सूरत और वलसाड में जीएसटी को वापस लेने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया है. वडोदरा शहर इकाई के प्रमुख रुतविज जोशी के नेतृत्व में करीब 10 कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को वडोदरा कलेक्ट्रेट परिसर में गरबा किया था. बुधवार को आप कार्यकर्ताओं ने वडोदरा और सूरत शहर में सड़कों पर गरबा प्रदर्शन के साथ विरोध प्रदर्शन किया, जिसके कारण पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया.


कांग्रेस नेता अमित चावड़ा ने लगाए ये आरोप
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अमित चावड़ा ने आरोप लगाया कि, ‘‘गुजरात के लोग बहुत गुस्से में हैं. बीजेपी ने हिंदुओं के आशीर्वाद से सरकार बनाई है और अब सरकार गरबा पर कर लगाकर पैसा कमाना चाहती है, जो एक हिंदू परंपरा होने के साथ गुजरात की पहचान और गौरव है. बीजेपी गरबा पर कर लगाकर गुजरात की पहचान नष्ट करना चाहती है.’’ गुजरात आप के अध्यक्ष गोपाल इटालिया ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को पत्र लिखकर गरबा आयोजनों पर जीएसटी को वापस लेने की मांग की.


क्या बोले इटालिया?
इटालिया ने कहा, ‘‘लोग गरबा से जुड़े हुए हैं क्योंकि यह हमारे विश्वास की बात है. लोगों की आस्था पर कर लगाना बीजेपी की निम्न स्तर की मानसिकता को दर्शाता है. हमारे देवताओं की पूजा पर कभी कोई कर नहीं था. हम बीजेपी द्वारा इस कृत्य की निंदा करते हैं और इसे तत्काल वापस लेने की मांग करते हैं.’’ वाघानी ने बुधवार को पलटवार करते हुए कहा था कि इस तरह के आयोजनों पर 2017 से जीएसटी लागू है. वाघानी ने कहा, ‘‘विपक्ष केवल लोगों को भड़काने में दिलचस्पी रखता है.


यह विरोध राजनीति से प्रेरित है क्योंकि वर्ष 2017 से विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर जीएसटी है. केंद्र ने वर्ष 2017 में इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की थी और हर राज्य ने इस तरह के कर पर सहमति व्यक्त की थी.’’


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