Gujarat: कांग्रेस MLA जिग्नेश मेवाणी ने IPS राजकुमार पांडियन के खिलाफ खोला मोर्चा, लगाया ये आरोप
Gujarat News: गुजरात कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी ने आईपीएस राजकुमार पांडियन पर कथित दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है. वहीं आईपीएस राजकुमार पांडियन ने आरोपों को 'निराधार' बताया है.
Gujarat Latest News: गुजरात में कांग्रेस के नेता और दलित समुदाय के सदस्य बुधवार को पुलिस महानिदेशक (DGP) कार्यालय के बाहर एकत्र हुए और विधायक जिग्नेश मेवाणी के साथ कथित दुर्व्यवहार को लेकर आईपीएस अधिकारी राजकुमार पांडियन को निलंबित करने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया. अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक पांडियन के खिलाफ नारे लगाते हुए मेवाणी, कांग्रेस की गुजरात इकाई के अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल और पार्टी विधायकों सहित अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के नेतृत्व में सैकड़ों लोग गांधीनगर में 'पुलिस भवन' के बाहर एकत्र हुए. गांधीनगर के पुलिस भवन में पुलिस महानिदेशक (DGP) और पांडियन का कार्यालय भी है.
जिग्नेश मेवाणी ने क्या आरोप लगाए?
मेवाणी ने आरोप लगाया है कि पांडियन ने उनके और गुजरात कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष हितेंद्र पिथाडिया के साथ उस समय दुर्व्यवहार किया, जब वे 15 अक्टूबर को उनके कक्ष में उनसे मिलने गए थे और उनसे अनुरोध किया था कि राज्य सरकार की ओर से 1980 के दशक में (जब कांग्रेस सत्ता में थी) दलितों को आवंटित भूमि पर अतिक्रमण करने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, खासकर कच्छ जिले में.
वडगाम से कांग्रेस विधायक ने दावा किया, ‘‘असामाजिक तत्वों ने दलितों की 20,000 बीघा जमीन हड़प ली है, लेकिन भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी पांडियन में उनकी जमीन को मुक्त कराने और उनके असली मालिकों को वापस दिलाने का साहस नहीं है. जब हम अपील करने गए तो आईपीएस अधिकारी ने हमारा अपमान करके और हमें अपने कक्ष से बाहर जाने को कहकर हमारी आवाज दबाने की कोशिश की.
आईपीएस राजकुमार पांडियन ने आरोपों से किया इनकार
आईपीएस पांडियन ने मेवाणी की ओर से उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों से इनकार किया है. मेवाणी गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं. बाद में वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने डीजीपी विकास सहाय से उनके कक्ष में मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंपकर पांडियन पर 'बिल्कुल अस्वीकार्य, अनुचित और निंदनीय व्यवहार' का आरोप लगाया. प्रतिनिधिमंडल ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की तत्काल बर्खास्तगी/निलंबन तथा 'गुजरात और भारत के दलितों से बिना शर्त माफी मांगने' की मांग की.
पांडियन ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को 'निराधार' बताया और कहा कि राज्य पुलिस दलितों और आदिवासियों सहित समाज के कमजोर वर्गों के कल्याण और सुरक्षा को उचित महत्व देती है. आईपीएस अधिकारी ने बताया कि मेवाणी उनसे मिलने उनके कक्ष में आने वाले पहले जनप्रतिनिधि नहीं हैं.
पांडियन ने कहा, "मेरे कक्ष में मुझसे मिलने आए लोगों में से किसी ने भी कभी यह शिकायत नहीं की कि उनका अपमान किया गया या उन्हें बाहर इंतजार कराया गया." उन्होंने कहा, "जब (मेवाणी) 15 अक्टूबर को मुझसे मिलने आए तो मैंने बिना किसी देरी के उन्हें तुरंत अंदर बुला लिया और बाकी लोगों को इंतजार करने दिया. मुद्दे (भूमि अतिक्रमण) पर बात करने के बजाय उन्होंने कक्ष में चीखना शुरू कर दिया. उन्होंने कहा कि मैं उन्हें लेने के लिए बाहर क्यों नहीं गया और प्रोटोकॉल का पालन क्यों नहीं किया."
आईपीएस अधिकारी ने कहा कि विपक्षी पार्टी के विधायक ने अपना मोबाइल फोन उनके कार्यालय की मेज पर रख दिया और उसका वॉयस रिकॉर्डर भी चालू कर दिया, जिस पर उन्होंने आपत्ति जताते हुए इसे अस्वीकार्य व्यवहार बताया.
‘प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया’
मेवाणी के अनुसार, जब वह पांडियन से मिलने उनके कार्यालय गए तो आईपीएस अधिकारी ने उनका ‘अपमान’ किया और एक जनप्रतिनिधि के स्वागत के लिए आवश्यक प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया. विधायक ने दावा किया कि पुलिस अधिकारी ने उन्हें अपना मोबाइल फोन उनके कक्ष के बाहर छोड़ने के लिए कहा.
यह भी पढ़ें: गुजरात के अमरेली में बिकने वाले दूध का सामने आया सच, विशेष अभियान में पुलिस को मिली सफलता