Gujarat News: तीस्ता सीतलवाड़ और श्रीकुमार की जमानत पर फैसला 28 जुलाई तक टला, जानें- उनपर क्या हैं आरोप?
Teesta Setalvad Case: कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व डीजीपी आर.बी.श्रीकुमार की जमानत अर्जी पर फैसला 28 जुलाई तक के लिए टाल दिया. इस खबर में जानिए उनपर क्या-क्या आरोप लगे हैं.
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Gujarat Riots 2002: गुजरात के अहमदाबाद स्थित कोर्ट ने मंगलवार को कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर.बी.श्रीकुमार की जमानत अर्जी पर फैसला 28 जुलाई (गुरूवार) तक के लिए टाल दिया. सीतलवाड़ और श्रीकुमार को वर्ष 2002 गुजरात दंगे में कथित तौर पर फर्जी सबूत तैयार कर निर्दोष लोगों को फंसाने की कोशिश करने का आरोप है. कोर्ट ने पिछले सप्ताह सीतलवाड़, श्रीकुमार और अभियोजन पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.
क्या-क्या लगे हैं आरोप?
सीतलवाड़, भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी श्रीकुमार और संजीव भट्ट को अहमदाबाद की अपराध शाखा ने भारतीय दंड संहिता की धारा 468 (धोखा देने के लिए फर्जीवाड़ा), 194 (किसी को मौत की सजा दिलाने के लिए झूठे सबूत देने) के तहत दर्ज मामले में पिछले महीने गिरफ्तार किया था.
विशेष जांच टीम (एसआईटी) जाली सबूत तैयार करने के आरोप की जांच कर रही है. एसआईटी ने कोर्ट में दावा किया था कि सीतलवाड़ और श्रीकुमार कांग्रेस पार्टी के दिवंगत नेता अहमद पटेल द्वारा राज्य की तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी की सरकार को अस्थिर करने के लिए रची गई ‘‘वृहद साजिश’’का हिस्सा थे.
एसआईटी का क्या है आरोप?
एसआईटी ने आरोप लगाया कि वर्ष 2002 में गोधरा रेलवे स्टेशन के पास रेलगाड़ी को जलाए जाने के बाद भड़के दंगे के बाद पटेल के कहने पर सीतलवाड़ को 30 लाख रुपये मिले थे. एसआईटी ने कोर्ट से कहा कि श्रीकुमार ‘‘असंतुष्ट सरकारी अधिकारी’’ थे जिन्होंने ‘‘पूरे गुजरात राज्य के निर्वाचित प्रतिनिधियों, नौकरशाही, पुलिस प्रशासन को गुप्त उद्देश्य हेतु बदनाम करने के लिए प्रक्रिया का दुरुपयोग किया था.’’
सीतलवाड़ और श्रीकुमार ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया है. उल्लेखनीय है कि पिछले महीने जाकिया जाफरी की याचिका उच्चतम न्यायालय से खारिज होने के बाद सीतलवाड़, श्रीकुमार और भट्ट के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई.
इन्हें मिल चुका है क्लीनचिट
जाफरी, कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी हैं, जिनकी मौत वर्ष 2002 के गुजरात दंगों में हो गई थी. उन्होंने अपनी अर्जी में दावा किया था कि गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के पीछे ‘‘ बड़ी साजिश’’ है. एसआईटी ने आठ फरवरी 2012 को क्लोजर रिपोर्ट (मामले को बंद करने की अर्जी) जमा की थी और मौजूदा प्रधानमंत्री मोदी और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों सहित 63 अन्य को क्लीन चिट दी थी.
एसआईटी ने कोर्ट में कहा कि आरोपियों के खिलाफ ‘‘अभियोग चलाने के लिए सबूत नहीं है.’’ शीर्ष कोर्ट ने इस साल 24 जून को मोदी और 63 अन्य को एसआईटी द्वारा दी गई क्लीनचिट के फैसले को बरकरार रखा.
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