Gujarat Weather News: मध्य और दक्षिण गुजरात में भारी बाढ़ के कारण हुई भारी बारिश के बाद राज्य सरकार का प्राथमिक अनुमान है कि 50,000 हेक्टेयर में खड़ी फसल को नुकसान पहुंचा है. मध्य गुजरात में बागवानी की फसल को सबसे अधिक नुकसान हुआ है, जबकि दक्षिण गुजरात में अधिकारियों को तिलहन, अनाज और दालों को भारी नुकसान की आशंका है. अधिकारियों ने यह भी कहा कि यह बारिश और खेतों में पानी के ठहराव के आधार पर एक प्राथमिक अनुमान था और कई गांवों में जलभराव के मुद्दों के कारण सर्वेक्षण टीमों तक पहुंचना बाकी है.


क्या बोले गुजरात खेडूत समाज के अध्यक्ष?
गुजरात खेडूत समाज के अध्यक्ष जयेश पटेल ने कहा, "अगर आप दक्षिण गुजरात की बात करें तो कपास, धान, तुवर और सोयाबीन की फसल खतरे में है. अब यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि बारिश का पानी कब तक स्थिर रहता है. जहां तक गन्ने की फसल की बात है तो अभी तक किसी किसान ने इसकी शिकायत नहीं की है." राज्य के कृषि विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार मध्य और दक्षिण गुजरात में कपास की बुवाई 1,22,000 हेक्टेयर, सोयाबीन की 29,600 हेक्टेयर और 77,700 हेक्टेयर में धान की खेती होती है. 


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किसानों को भारी नुकसान का डर
किसानों को डर है कि अगर अधिक समय तक पानी का ठहराव जारी रहा तो इससे इन फसलों को भारी नुकसान हो सकता है. जिला कृषि अधिकारी कुणाल पटेल ने कहा, "छोटा उदपुर जिले में 11 जुलाई तक 81,100 हेक्टेयर में बुवाई हुई थी जिसमें 26,600 हेक्टेयर में बागवानी शामिल है. प्राथमिक अनुमान है कि भारी बारिश से 20,000 हेक्टेयर में फसलों को नुकसान पहुंचा है."


सर्वेक्षण करने के लिए 34 टीमों का गठन
उन्होंने पूरे जिले का सर्वेक्षण करने के लिए 34 टीमों का गठन किया है, जिनमें से 12 टीमें बोडेली तालुका को समर्पित हैं जो सबसे बुरी तरह प्रभावित है. प्रत्येक टीम में पांच सदस्य होते हैं. इस जिले में केले की खेती और बागवानी फसलें प्रभावित हुई हैं. बोडेली तालुका में किसानों को भारी नुकसान हुआ है. बोडेली के एक किसान कालूभाई राथवा ने कहा कि उनकी केले की खेती की फसल बर्बाद हो गई है.


उन्होंने केले की सात एकड़ जमीन लगाई थी, जिसके लिए उन्होंने 20 लाख रुपये का निवेश किया था. उनकी छह भैंसों में से दो की मौत बाढ़ के पानी की वजह से हो गई है. डेडियापाड़ा तालुका की रजनी वसावा ने कहा, "नुकसान केवल फसलों को नहीं है, नर्मदा जिले में भूमि कटाव एक बड़ा मुद्दा है. रेत ने सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि को कवर किया है. जिस पर अब खेती करना बड़ा मसला होगा."


जिला कृषि अधिकारी, वी.पी. पटेल ने कहा कि नर्मदा जिले में 68,764 हेक्टेयर भूमि पर खेती हुई है, जिसमें 9,610 हेक्टेयर में बागवानी फसलें शामिल हैं. कम से कम 10 फीसदी बागवानी फसल क्षतिग्रस्त हो गई, क्योंकि कर्जन बांध के फ्लडगेट खोले गए थे. गांवों में पानी घटने के बाद उनकी टीम नुकसान का सर्वे शुरू कर सकेगी.


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