Gujarat Election 2022: रवि किशन बोले- गुजरात में नहीं चलेगा BJP के अलावा किसी और का मॉडल, सीटों को लेकर किया ये दावा
Gujarat Elections: गुजरात में यूपी और बिहार के लोगों की भारी संख्या है. इसी कारण भाजपा ने यूपी के कई बड़े नेताओं को चुनाव अभियान में लगाकर उत्तर भारतीय मतदाताओं का समीकरण साधने की कोशिश की है.
Ravi Kishan: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से भाजपा सांसद रवि किशन इन दिनों गुजरात में हैं. पार्टी ने उन्हें गुजरात चुनाव में स्टार प्रचारक के तौर पर उतारा है. रवि किशन लगातार चुनावी सभाओं को संबोधित कर रहे है. बुधवार को उन्होंने एक निजी चैनल से बातचीत के दौरान दावा किया कि गुजरात में डबल इंजन की सरकार बनने जा रही है. बीजेपी 150 से अधिक सीटें जीतेगी.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास कार्यों के आगे किसी का किला नहीं बचने वाला. इसी गुजरात की जनता ने देश को मोदी जैसा बेहतरीन नेता और प्रधानमंत्री दिया है. एक बार फिर यहां से भाजपा को आशीर्वाद मिलेगा और ऐतिहासिक जीत होगी. उन्होंने आगे कहा कि मुझे पार्टी ने जिस काम के लिए यहाँ भेजा है वह कर रहा हूं. आदिवासी और भोजपुरिया समाज के बीच जा रहा हूं.
आप का माहौल बना था लेकिन ख़राब हो गया: रवि किशन
चैनल से बातचीत के दौरान भाजपा सांसद ने यह भी स्वीकार किया कि पिछले दिनों आम आदमी पार्टी का माहौल गुजरात में बना जरूर था लेकिन सत्येन्द्र जैन की वायरल वीडियो और आप MLA की पिटाई वाली वीडियो ने सब नाश कर दिया. उन्होंने यह भी कहा कि गुजरात जैसी पवित्र धरती की जनता केजरीवाल और उनकी पार्टी पर कभी विशवास नहीं करेगी. यहां की जनता झूठे लोगों को, फ्री का लॉलीपॉप देने वालों को, दंगा कराने वालों को, आतंकवादियों को संरक्षण देने वालों को जीतने ही नहीं देगी.
ओवैसी का गुजरात में भी खाता नहीं खुलेगा
असदुद्दीन ओवैसी को लेकर रवि किशन ने कहा कि गुजरात में भी उनका वही हाल होगा, जो यूपी में हुआ था. वह यूपी में भी आए थे लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाए. उन्होंने आगे कहा कि इसी गुजरात में 27 साल पहले हर दूसरे दिन दंगे होते थे लेकिन भाजपा आने के बाद कोई दंगा नहीं हुआ.
गुजरात में यूपी-बिहार के वोटर्स को टारगेट कर रही BJP
बता दें कि गुजरात में उत्तर भारतीय मतदाता भी बड़ी तादाद है. गुजरात के छह करोड़ की आबादी में करीब डेढ़ करोड़ प्रवासी हैं और इनमें भी सबसे ज्यादा संख्या यूपी और बिहार के रहने वालों की है. राज्य की करीब 20 विधानसभा सीटों पर उत्तर भारतीय मतदाताओं का खासा दबदबा है और इसी कारण भाजपा ने यूपी के कई बड़े नेताओं को चुनाव अभियान में लगाकर उत्तर भारतीय मतदाताओं का समीकरण साधने की कोशिश की है.