Gujarat Election 2022: गुजरात में साबरकांठा जिले का जनजातीय बहुल खेडब्रह्मा (Khedbrahma) विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस (Congress) का गढ़ रहा है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए आदिवासी नेता अश्विन कोतवाल (Ashwin Kotwal ) की मदद से इस बार यह सीट जीतने की जुगत में लगी है.


कांग्रेस की टिकट यहां से तीन बार जीत चुके हैं कोतवाल
कोतवाल ने 2007, 2012 और 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में पूर्वोत्तर गुजरात की खेडब्रह्मा सीट जीती थी और औसतन 50 से 55 प्रतिशत वोट हासिल किए थे. वह इसी साल मई में बीजेपी में शामिल हुए थे और उन्हें इसी सीट से टिकट दिया गया है. खेडब्रह्मा सीट 1990 के चुनाव को छोड़कर कांग्रेस के पास रही है. वर्ष 1990 में बीजेपी यह सीट जीतने में कामयाब रही थी.


कोतवाल ने इस बार भी ठोका जीत का दावा
निर्वाचन क्षेत्र के करीब 2,82,000 मतदाताओं में से लगभग 70 प्रतिशत मत अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदाय से हैं, जबकि लगभग चार प्रतिशत मत अनुसूचित जाति (एससी) और दो प्रतिशत मत अल्पसंख्यक समुदाय से हैं. मतदाता मुख्य रूप से खेती करते हैं और छोटा-मोटा व्यवसाय करते हैं. इनमें प्रवासी श्रमिक भी शामिल हैं.


मीडिया से बातचीत में कोतवाल ने कहा, ‘‘मैं आश्वस्त हूं कि इस सीट पर मेरी पार्टी (बीजेपी) जीतेगी. मैंने पिछले 15 साल से इस क्षेत्र के लिए काम किया है. मेरी साख और आदिवासियों के लिए बीजेपी सरकार की पहल हमें इस सीट पर जीत हासिल करने में मदद करेगी.’’


कांग्रेस छोड़ने को लेकर क्या बोले कोतवाल
कांग्रेस छोड़ने के पीछे के कारण के बारे में कोतवाल ने कहा कि विपक्षी खेमे में रहकर आदिवासियों के विकास के लिए काम करना असंभव था. उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप विपक्षी पार्टी में होते हैं, तो क्षेत्र में विकास करना मुश्किल होता है. इसलिए मैंने आदिवासियों के विकास के लिए बीजेपी में शामिल होने का फैसला किया है और मुझे लोगों का समर्थन प्राप्त है.’’


कांग्रेसी उम्मीदवार ने उड़ाया बीजेपी का उपहास
इस विधानसभा क्षेत्र में दूसरे चरण के तहत पांच दिसंबर को मतदान होगा. जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों में से यह एकमात्र ऐसी सीट है जो कांग्रेस के पास है. कांग्रेस के एक स्थानीय समर्थक रमेशभाई सोलंकी ने बीजेपी का उपहास उड़ाते हुए कहा, ‘‘बीजेपी का मानना है कि खेडब्रह्मा में एक कांग्रेसी (कोतवाल) को लाकर वह इस विधानसभा सीट को ‘कांग्रेस-मुक्त’ बना सकती है.’’ कांग्रेस का दावा है कि खेडब्रह्मा में उम्मीदवार नहीं, बल्कि चुनाव चिह्न मायने रखता है. कांग्रेस उम्मीदवार तुषार चौधरी ने कहा, ‘‘इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि मैं उम्मीदवार हूं या कोई और. यह कांग्रेस का गढ़ है और यहां के मतदाता खुद को हमारी पार्टी के चुनाव चिह्न से जोड़कर देखते हैं.’’ 


बीजेपी-कांग्रेस को सता रहा AAP का खौफ
बीजेपी ने चौधरी को ‘‘बाहरी व्यक्ति’’ के तौर पर पेश करने का अभियान चलाया है, लेकिन कोतवाल को मैदान में उतारने से बीजेपी को अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं के एक वर्ग और स्थानीय नेताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है. दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी (आप) के प्रवेश से भी कांग्रेस और बीजेपी को अपना-अपना खेल बिगड़ने की आशंका है. आप ने इस सीट के लिए स्थानीय आदिवासी नेता बिपिनचंद्र गमेती को उम्मीदवार बनाया है.


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