Drones in Gujarat: छोटे हेलीकॉप्टर उड़ रहे हैं. वे बच्चों का अपहरण करेंगे. डकैती या चोरी को अंजाम देंगे. ये कुछ अफवाहें हैं जो कम से कम छह जिलों- खेड़ा, अहमदाबाद, गांधीनगर, मोरबी, सुरेंद्रनगर और आणंद के गांवों में तेजी से फैल रही है. इसको लेकर लोगों में डर का माहौल है. पुलिस को भी अलर्ट मोड़ पर रखा गया है. टीओआई के अनुसार खेड़ा जिले के महमदावद तालुका के सरसावनी गांव में करीब एक महीने से अफवाहों का बोलबाला है. ग्रामीणों ने दावा किया कि उन्होंने आकाश में ड्रोन (Drone) देखा है. लोग कहते हैं कि इसे चोरों या "बच्चा चोरों" द्वारा उड़ाया जाता है.
कुछ ग्रामीणों ने देखा ड्रोन (Drone)
सरसावनी गांव निवासी अश्विन चौहान ने कहा, "इसकी शुरुआत दो महीने पहले दो भैंसों की चोरी की घटना से हुई थी. तब से छोटे बच्चों के अपहरण के लिए गांव में घूमने वाले गिरोहों के बारे में अफवाहें बनने लगीं. कुछ ग्रामीणों ने रात में ड्रोन (Drone) को देखा. कहते हैं कि अपराधी चोरी करने या बच्चों का अपहरण करने के इरादे से उन पर नजर रखते हैं."
लोग कर रहे निगरानी
सरसवानी के एक अन्य निवासी ने कहा कि अप्रिय घटनाओं को रोकने के लिए ग्रामीण चौबीसों घंटे निगरानी रखते हैं. अफवाह को लेकर पुलिस सतर्क है. महमदावाद के इंस्पेक्टर एन डी नाकुम ने कहा कि समझ की कमी और गलत सूचना इस तरह की अफवाहों का कारण बनती है. नकुम ने कहा, "हाल ही में एक देशव्यापी ड्रोन (Drone) उत्सव आयोजित किया गया था, जहां प्रतिभागियों ने अपने ड्रोन (Drone) उड़ाए और इन ग्रामीणों को लगा कि वे अपराधी हैं. हमने ऐसे गांवों में पुलिस तैनात की है और इन अफवाहों को खत्म करने के लिए नियमित रूप से गश्ती दल भेज रहे हैं."
खेड़ा के एसपी ने दी जानकारी
खेड़ा के एसपी राजेश गढ़िया ने कहा कि यह उनके संज्ञान में आया है कि मोरबी, सुरेंद्रनगर और आणंद में भी ऐसी अफवाहें फैल रही हैं. गढ़िया ने कहा, "हाल ही में आणंद जिले के उमरेठ तालुका के एक गांव में किसी ने खिलौना हेलीकॉप्टर उड़ाया था. हम इन अफवाहों और घटनाओं को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं. हम सरपंचों से बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त प्रयास कर रही है कि इन अफवाहों के कारण किसी को भीड़ की हिंसा का सामना न करना पड़े.
अहमदाबाद ग्रामीण पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि ये अफवाहें जंगल में आग की तरह फैल गई है. "एक्सप्रेसवे के पास कुछ तेल पाइपलाइन का काम चल रहा था, जिसके लिए चार महीने पहले ओएनजीसी या किसी सरकारी एजेंसी द्वारा ड्रोन (Drone) सर्वेक्षण किया गया था.
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