Gujarat News: गुजरात में पूर्व IAS अधिकारी चला रहा था 6 फर्जी सरकारी दफ्तर, करोड़ों के घोटाले के आरोप में हुआ गिरफ्तार
Dahod News: गुजरात कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी बीडी निमामा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. बीडी निमामा पर फर्जी कार्यालयों के माध्यम से 18.6 करोड़ रुपये के सरकारी अनुदान में घोटाला करने का आरोप है.
Gujarat News: गुजरात कैडर के एक पूर्व आईएएस अधिकारी को सोमवार को दाहोद जिले में छह फर्जी सरकारी ऑफिस चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. इस पूर्व आईएएस अधिकारी ने सिंचाई संबंधित परियोजनाओं को लागू करने के लिए 18.6 करोड़ रुपये का अनुदान लिया था. दाहोद की एक स्थानीय अदालत ने मंगलवार को पूर्व आईएएस अधिकारी बी डी निनामा को चार दिसंबर तक छह दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है. बता दें कि फरवरी में बी डी निनामा ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी.
यह घटनाक्रम छोटा उदयपुर जिले में इसी तरह के घोटाले का पर्दाफाश होने के एक महीने बाद आया है, जहां सिंचाई परियोजनाओं के लिए कार्यकारी इंजीनियर का एक फर्जी ऑफिस खोल कर सरकारी अनुदान में 4.16 करोड़ रुपये का हेर-फेर किया गया था. इसके बाद 26 अक्टूबर को बोडेली में फर्जी ऑफिस का भंडाफोड़ किया गया था, जिसमें संदीप राजपूत और उनके सहयोगियों अबू बक्र सैय्यद और अंकित सुथार सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
कैसे हुआ खुलासा?
दरअसल, दाहोद जिले के परियोजना प्रशासक ऑफिस के हेड क्लर्क भावेश बामनिया द्वारा 10 नवंबर को दाहोद ए डिवीजन पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी. इसमें कहा गया था कि 26 अक्टूबर को छोटा उदयपुर में दर्ज की गई एफआईआर के बाद, जनजातीय क्षेत्र उपयोजना के दाहोद परियोजना प्रशासक स्मित लोढ़ा ने 30 अक्टूबर को अपने कार्यालय को जांच करने का निर्देश दिया था कि क्या दाहोद जिले में भी इसी तरह का घोटाला हुआ है. इसके बाद 9 नवंबर को लोढ़ा को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में छह फर्जी कार्यालयों और 18.6 करोड़ रुपये के घोटाले की बात सामने आई.
2018 से मार्च 2023 के बीच 18.6 करोड़ का हेर-फेर
एफआईआर में कहा गया था कि संदीप राजपूत ने अपने साथियों के साथ मिलकर बी डी निनामा की मंजूरी लेकर 100 प्रोजेक्ट जमा किए थे. साथ ही फरवरी 2018 से मार्च 2023 के बीच छह फर्जी ऑफिसों के बैंक खातों में 18.6 करोड़ रुपये जमा हुए थे. वहीं दाहोद एसपी राजदीप सिंह जाला ने बताया कि दाहोद में छह फर्जी ऑफिस खोले गए थे और सभी ऑफिस संदीप राजपूत द्वारा चलाए जा रहे थे. इन्होंने खुद को कार्यकारी इंजीनियर बता कर 18 करोड़ रुपये से ज्यादा के 100 से अधिक अनुबंध प्राप्त किए, जिनमें मुख्य रूप से सरकार द्वारा दिया गया आदिवासी अनुदान शामिल था. इसमें लोगों के घरों में नल और कुएं स्थापित करने जैसे सिंचाई से संबंधित काम शामिल थे.
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