Gujarat News:  गुजरात सरकार ने हाईकोर्ट से कहा कि प्रस्तावित गांधी आश्रम मेमोरियल व प्रेसिंक्ट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट से गांधीवादी मूल्य दिखेंगे. राज्य सरकार ने महात्मा गांधी के प्रपौत्र और सामाजिक कार्यकर्ता तुषार गांधी की जनहित याचिका के जवाब में हलफनामा दायर किया. बता दें कि तुषार गांधी ने इस परियोजना के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसके बाद सरकार का ये जवाब आया है.


'याचिकाकर्ता की दलील बेबुनियाद'


सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता की यह दलील बेबुनियाद है कि प्रस्तावित परियोजना ‘‘आश्रम के भौतिक ढांचे को बदल देगी और इसकी प्राचीन सादगी और मितव्ययता को बिगाड़ देगी जो गांधीजी के विचारों को साकार करती है.’’ उप सचिव (पर्यटन) के जे जमालिया के हलफनामे के अनुसार, ‘‘प्रस्तावित परियोजना से गांधी आश्रम की भौगोलिक स्थिति नहीं बदलेगी बल्कि गांधी आश्रम का उसके मूल स्वरूप में पुनरुद्धार होगा और इसके शांत वातावरण के साथ इसकी सादगी और मितव्ययता भी यथावत रहेगी.’’ मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए मामला आया. तुषार गांधी के वकील ने जवाब देने के लिए समय मांगा जिसके बाद अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 14 जून की तारीख तय की.


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तुषार गांधी ने परियोजना के खिलाफ दायर की थी याचिका


गुजरात हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में तुषार गांधी ने कहा था कि करीब 1200 करोड़ रुपये की इस परियोजना से इस ऐतिहासिक महत्व वाले आश्रम और इसके संचालन की मूल प्रकृति प्रभावित होगी.इसलिए इसे रद्द कर आश्रम को उसके मूल स्वरूप में संरक्षित किया जाना चाहिए. वहीं कई गांधीवादी संगठनों ने आश्रम के सौंदर्यीकरण के विरोध में एक यात्रा का भी आयोजन किया था. बता दें कि इससे पहले तुषार गांधी की याचिका को गुजरात हाईकोर्ट खारिज कर चुका है. अब तुषार गांधी ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. गुजरात हाईकोर्ट ने 25 नवंबर 2021 को तुषार गांधी की याचिका खारिज कर दी थी.


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